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वृद्धाश्रम: लघुकथा

कौन है जो घंटी बजा रहा है,?चौकीदार तुम से काम ढंग से नही होता तो काम छोड़ दो।
'मेडम जी एक बुड्डा आया है,जिद्दी है कहता मिलना ज़रूरी है।
"देख राजू आख़िरी चेतावनी है तेरे लिये आलतू ,फ़ालतू लोगों को भगा नही सकता चले आते है समय बेसमय।
लगता हैवह इनाम की आस में आया है , हमारे टामी का विज्ञापन पढ़कर।"
अरे! क्या कह रहे हो राजू उसे बैठक में बैठाओ ,पानी,चाय लेते आना ,अभी आती हूँ।
बाहर ससुर को देखकर मालकिन के पाँव तले ज़मीन खिसक गई ।
"बेटा ,टामी वृद्धाश्रम आ गया था मेरे साथ खेलने ।"

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by pratibha pande on August 4, 2016 at 10:00pm

  बहुत अच्छी रचना ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया नीता जी 

Comment by Nita Kasar on August 4, 2016 at 9:14pm
कथा पसंदगीहेतु हेतु आप सभी का सादर आभार।।माता पिता के लिये घर में मन में जगह नही है पर कुत्ते के लिये विज्ञापन दिया जाता है कितने स्वार्थी हो जाते है कुछ लोग कि जन्मदाता को भूल जाते है पशु प्रेम गलत नही होता पर माता पिता के एवज़ में तो गलत ही माना जायेगा ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 4, 2016 at 8:24pm

शानदार लघु कथा हुई आद० नीता जी हार्दिक बधाई |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 3, 2016 at 11:11pm
बेहद तीखी डंकसंवादों/डंकपंक्ति युक्त रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया नीता कसार जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 3, 2016 at 7:48pm
कितनी कहानियां होंगी वृद्धाश्रमों की। दुःख भरी भी और सामान्य भी। कुछ के पीछे महानगरीय समस्याएं भी होगी , साथ रहने के लिए घर बड़ा चाहिए। टू बैडरूम की संस्कृति में , उसमें भी सीमित पानी, सीमित बिजली , बच्चे ही अधिक हों तो जीना मुहाल , मेहमान दो दिन रुक जाए तो...... , जाने दीजिये , आखिर वही माँ बाप बच्चे को हॉस्टल भी भेजते हैं।
समस्यायों का निदान भी ढूंढना चाहिये , वानप्रस्थ बहुत सोची , सुलझी , समझदार व्यवस्था थी , शायद चली भी बहुत थी।
लेकिन इन बातों से इतर , कथा बहुत अच्छी है , बधाई , आदरणीय सुश्री नीता कसर जी , सादर।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 3, 2016 at 3:41pm
अच्छी कथा हुई है आदरणीया दी ।हार्दिक बधाई ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2016 at 3:08pm

लाजवाब लघु कथा 

Comment by Rahila on August 3, 2016 at 12:18pm
बहुत बेहतरीन रचना आदरणीया दीदी!सादर

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