For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात (ग़ज़ल)

बह्र 1212 1122 1212 1121/112

अगर सभी के दिलो में हो सिर्फ प्यार की बात
नही कठिन है मिटाना जहाँ से खार की बात

हिरोशिमा से सबक लें सभी जो मुल्क अगर
कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात

जुबाँ कभी मेरी खाली न जाये इसलिए तो
कभी किसी से न की भूलकर उधार की बात

हुआ चलन जो मो'बाइल का हर जगह गोया
कि अब नही यहाँ होंगी किसी से तार की बात

दिखा न आँख हमे इस कदर समझ बुजदिल
हैं शेर हम नही करते कभी सियार की बात

दिखा रही है सियासत भी सब्जबाग हमे
किसे है फ़िक्र करेगा जो रोजगार की बात

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on March 7, 2017 at 10:09pm
आदरणीय सुरेन्द्र जी, इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 3:16pm

आदरनीय सुरेन्द्र नाथ भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ गज़ल के लिये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 6, 2017 at 11:58am

आद० समर भाई जी ,गोया के दुसरे अर्थ (बोलने वाला )जानकर संशय दूर हो गया वरना मैं यही सोच रही थी की गोया के बाद सानी में कि की जरूरत कहाँ थी अब सब स्पष्ट हो गया बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी 

Comment by नाथ सोनांचली on March 6, 2017 at 9:52am
आदरणीय समर साहब आदाब, आपके इस कथन से मेरा भी शंशय दूर हो गया, आभार आपका।
Comment by Samar kabeer on March 5, 2017 at 7:18pm
'हुआ चलन जो मोबाइल का हर जगह गोया'

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,आज सुब्ह प्रिय अनुज सुरेन्द्र नाथ जी ने मुझे फोन पर बताया कि इस मिसरे में आपको 'गोया'शब्द पर कुछ संशय है, इसके लिये मुझे यहाँ उपस्थित होना पड़ा ।
"गोया"शब्द के दो अर्थ होते हैं (1)बोलने वाला (2)फ़र्ज़ कीजिये,या मान लीजिये,या अंग्रेजी में 'suppose",इस लिहाज़ से ये मिसरा पूरी तरह बामानी है, आपने 'मोमिन'का ये शैर पढ़ा या सुना होगा:-
"तुम मेरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता"
उम्मीद है आपका संशय दूर हुआ होगा ?
Comment by नाथ सोनांचली on March 5, 2017 at 5:56pm
आदरणीय बैजनाथ शर्मा जी सादर आभार, यूँही प्यार बनाये रखें। सादर
Comment by नाथ सोनांचली on March 5, 2017 at 5:56pm
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी हौसला अफजाई के लाइट ह्रदय की गहराई से आभार।
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on March 5, 2017 at 2:41pm

बहुत सुन्दर 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 5, 2017 at 7:58am
वाह वाह आदरणीय सुरेन्द्र जी बेहद सुन्दर और सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाइयाँ
Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 8:11pm
आद0 बहन राजेश कुमारी जी आपकी प्रशंसा से नयी ऊर्जा का संचार होता है, दिल से आपका आभार। इस ग़ज़ल पर आद0 उस्ताद समर साहब से इस्लाह लिया था, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion गीतिका छंद in the group भारतीय छंद विधान
"राम बोलो श्याम बोलो छंद होगा गीतिका। शैव बोलो शक्ति बोलो छंद ऐसी रीति का।। लोग बोलें आप बोलें छंद…"
21 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
59 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion रोला छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय सौरभ सर, रोला छंद विधान से एक बार फिर साक्षात्कार कर रहा हूं। पढ़कर रिवीजन हो गया। दोहा…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service