For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( निकल कर तो आओ कभी रोशनी में )

ग़ज़ल ( निकल कर तो आओ कभी रोशनी में )
----------------------------------------------------------
(फऊलन-फऊलन-फऊलन-फऊलन)

चलाओ न तीरे नज़र तीरगी में |
निकल कर तो आओ कभी रोशनी में |

कमी दर्दे दिल में तो अब भी नहीं है
मज़ा आ रहा है तुम्हें दिल लगी में |

मेरी ही नहीं है यह सबकी ज़ुबा पर
लुटे क़ाफ़िले सब तेरी रहबरी में |

करूँ फ़ख़्र मैं क्यूँ न क़िस्मत पे अपनी
दिवाना हुआ हूँ तुम्हारी गली में |

यूँ ही कोई तुझ पर नहीं मर मिटा है
कोई बात तो है तेरी सादगी में |

कभी मेरी बालीं पे सज धज के आओ
क़ियामत भी मैं देख लूँ ज़िंदगी में |

लगा कर गले मुझको तस्दीक़ उसने
नई रूह फिर फूँक दी दोस्ती में |

तीरगी --अंधेरा , बालीं--सिरहाने

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 24, 2018 at 11:52am

जनाब महेन्द्र कुमार साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 24, 2018 at 11:51am

जनाब बलराम साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Mahendra Kumar on January 23, 2018 at 7:32pm

बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. तस्दीक़ जी. सादर.

Comment by Balram Dhakar on January 23, 2018 at 6:28pm
आदरणीय तस्दीक जी, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल।
हार्दिक बधाई।
सादर।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 23, 2018 at 9:47am

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by नाथ सोनांचली on January 23, 2018 at 4:35am

आद0 तस्दीक अहमद साहिब, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने,बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 22, 2018 at 9:53am

जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by SALIM RAZA REWA on January 22, 2018 at 9:04am
जनाब तस्दीक़ साहब,
हर एक शेर ख़ूबसूरत वाह क्या कहने मुबारक़बाद क़ुबूल करें.
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 20, 2018 at 8:19am

मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब आदाब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Mohammed Arif on January 20, 2018 at 7:57am

आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,

                          बहुत ही प्यारी ग़ज़ल । हर शे'र माकूल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय जयहिंद  जयपुरी जी सादर नमस्कार जी।   ग़ज़ल के इस बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई…"
21 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। वाह वाह बेहद शानदार मतला के साथ  शानदार ग़ज़ल के लिए दिली…"
25 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी सादर नमस्कार जी। क्या ही खूबसूरत मतला हुआ है। दिली दाद कुबूल कर जी।आगे के अशआर…"
29 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत बहुत शुक्रिया आपका, आपने इतनी बारीकी से ग़ज़ल को देखा  आपकी इस्लाह…"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब! ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास हुआ है जिसके लिए बहुत बहुत बधाई हो। मतला यूँ देखिए…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आपने आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह भी ख़ूब हुई है ग़ज़ल और निखर जायेगी"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी अच्छी इस्लाह हुई है"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय इतनी बारीकी से इस्लाह की है आदरणीय तिलक राज सर ने मतले व अन्य शेरों पर काबिल…"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह हर ग़ज़ल पर बेहतरीन हुई है काबिल ए गौर है ग़ज़ल…"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय निलेश सर 4rth शेर बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें आदरणीय"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service