For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की -पार करने हैं समुन्दर ये दिलो-जाँ वाले

२१२२ /११२२ /११२२ /२२
.
पार करने हैं समुन्दर ये दिलो-जाँ वाले
और आसार नज़र आते हैं तूफाँ वाले.
.   
फ़ितरतन मुश्किलें; मुश्किल मुझे लगती हीं नहीं     
पर डराते हैं सवाल आप के आसाँ वाले.

.
तितलियाँ फूल चमन सारे कशाकश में हैं
एक ही रँग के गुल चाहें गुलिस्ताँ वाले.
.
ये न कहते कि रखो एक ही रब पर ईमाँ
इश्क़ करते जो अगर गीता-ओ-कुरआँ वाले.  
.
जानवर हैं कई, इंसान की सूरत में यहाँ
शह्र में रह के भी हैं तौर बयाबाँ वाले.  
.
आप चेहरे से तो इंसान नज़र आते हैं
आप के ढब नहीं लगते मगर इंसाँ वाले. 
.
‘नूर’ पर दाग़ लगाने कि तमन्ना है जिन्हें
वो मेरे यार हैं शफ़्फ़ाफ़ गरेबाँ वाले.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 863

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 11, 2018 at 1:01pm

धन्यवाद आ. सुरेन्द्रनाथ सिंह जी ..
आभार 

Comment by नाथ सोनांचली on April 11, 2018 at 5:06am

वाह वाह वाह, बहुत बेहतरीन और बाकमाल ग़ज़ल कही आपने भाई नीलेश जी। शैर दर शैर मुबारकवाद कुबूल जरें।सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 9, 2018 at 7:47pm

धन्यवाद आ. अजय जी 
आभार 

Comment by Ajay Tiwari on April 9, 2018 at 6:32pm

आदरणीय निलेश जी, उम्दा अशआर हुए है. हार्दिक बधाई.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 9, 2018 at 5:15pm

हार्दिक बधाई इस उम्दा ग़ज़ल पर आदरणीय भाई नीलेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 9, 2018 at 1:19pm

धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी 
आभार 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 9, 2018 at 1:19pm

धन्यवाद आ. बृजेश कुमार जी 
आभार 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 9, 2018 at 1:03pm

आ. भाई नीलेश जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 8, 2018 at 9:36pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय नीलेश जी...सादर

Comment by दिनेश कुमार on April 8, 2018 at 7:21pm

सही कहा सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service