For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

   

चाहा ये दिल तेरा पाना हम को।
महका के राहों को जाना हम को।

कहते कोई तो अफ़साना हम भी,
कैसे बुनता ताना बाना हम को।

आये जाये मिलकर बैठे बिछड़ें,
कहना जो भी होता पाना हम को।

कैसा होगा अब ये हम का जीना,
जब राहों इन आना जाना हम को।

औरत बन के तुझको भी आना होगा,
क्यूँ होता इलजाम निभाना हम को।

  1. मौलिक व अप्रकाशित

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelam Upadhyaya on July 9, 2018 at 1:51pm

आदरणीय  मोहन बेगोवाल जी, नमस्कार ।  अच्छी ग़ज़ल की पेशकश के लिए बधाई । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 8, 2018 at 5:07pm

आ. मोहन जी, अच्छी गजल हुयी है , हार्दिक बधाई ।

Comment by Mohan Begowal on July 8, 2018 at 2:51pm

 आदरनीय समर जी और दोस्तो बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on July 8, 2018 at 2:41pm

जनाब मोहन बेगोवाल। जी आदाब,बह्र-ए-मीर पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

आपकी ग़ज़ल बह्र के हिसाब से ठीक है,लेकिन इस बह्र में ये बात भी ध्यान देने योग्य है कि बह्र के साथ मिसरों का लय में होना भी ज़रूरी है और उसके साथ शिल्प की पकड़ भी मज़बूत होना चाहिए,शिल्प और लय के हिसाब से आपके मिसरे कमज़ोर लगे,इस ओर ध्यान देंगे तो ये कमज़ोरी भी दूर हो जायेगी,प्रयासरत रहें ।

Comment by Mohammed Arif on July 8, 2018 at 9:47am

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी आदाब,

                        ग़ज़ल का बहुत ही बेहतरीन प्रयास । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

Comment by नाथ सोनांचली on July 8, 2018 at 9:23am

आद0 मोहन बोगोवाल जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल का बढिया प्रयास है। गुणीजनों के इस्लाह की प्रतीक्षा कीजिये

 मेरी बधाई स्वीकार करें।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 7, 2018 at 11:06pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल। हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल साहिब । मुझे ऐसा लगा कि कुछ अशआर में सम्मानित गुरुुजन इस्लाह देेेना चाहेंंगे।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 7, 2018 at 6:59pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल जी । बेहतरीन गज़ल।

कहते कोई तो अफ़साना हम भी,
कैसे बुनता ताना बाना हम को।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
15 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए…"
16 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल…"
18 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
19 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय मनोज जी,आप अभिलाषी हैं कि लोग आपकी रचना पर टिप्पणी करें।आपने कितनी ग़ज़लों पर टिप्पणी की…"
19 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से काफ़ी कुछ…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी बहुत शुक्रिया आपका, जी ज़रूर कोशिश करती हूँ सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय नीलेश जी बहुत शुक्रिया आपका, बेहतर है सुझाव आभार आपका सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमित जी बहुत शुक्रिया आपका, बेहतर सुझाव के लिए भी आभार आपका,सुधार करती हूँ सादर"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर नज़र ए क़रम व महत्वपूर्ण इस्लाह करने के लिए वैसे मतला का का भाव ये लिया…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service