For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रंगहीन ख़ुतूत ...

तन्हाई
रात की दहलीज़ पर
देर तक रुकी रही
चाँद
दस्तक देता रहा
मन
उलझा रहा
किसका दामन थामूँ
अर्श के माहताब का
पलकों के ख्वाब का
या ज़ह्न के सैलाब का
सवाल
गर्म लावे से
उबलते रहे
जवाब
तन्हाई में
सुबकते रहे
मैं ज़ीना-ज़ीना
ज़ह्न के सन्नाटों में
उतरती रही
अपनी ही साये में
बिखरती रही
बस रहे गए हाथ में
अर्थहीन अलफ़ाज़ के
रंगहीन ख़ुतूत के

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:11pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , प्रस्तुति को आत्मीय मान देने एवं सुधारात्मक सुझाव देने का दिल से शुक्रिया। मैं अभी एडिट करता हूँ सर। शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:07pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:06pm

आदरणीय  narendrasinh chauhanजी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2018 at 6:06pm

आदरणीय फूल सिंह जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 12, 2018 at 8:02pm

आ. भाई सुशील जी, सुंदर कविता हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on December 11, 2018 at 10:17pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'  मैं जीना जीना'--"ज़ीना ज़ीना" !

'लफ़्ज़ों से लबरेज़'

'लफ़्ज़' शब्द का बहुवचन "अल्फ़ाज़" है,देखियेगा । 

Comment by narendrasinh chauhan on December 11, 2018 at 3:19pm

लाजवाब , खूब सुन्दर रचना सर 

Comment by PHOOL SINGH on December 11, 2018 at 2:13pm

क्या बात है सर जी बहुत सूंदर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंदः श्राद्ध पितृ-पक्ष आवश्यक है, उद्धार हेतु आत्मा I करें हुतात्मा के हित तर्पण, मिले उन्हें…"
16 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service