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ग़ज़ल (४) : बताओ माँ, मेरी चादर कहाँ है !

कहाँ है कील, शर, नश्तर कहाँ है

मेरा काँटों भरा, बिस्तर कहाँ है//१

.

उठा के मार, मंदिर में पड़ा ‘वो’  

भला क्या पूछना, पत्थर कहाँ है//२

.

तभी सोंचू के, मैं क्यूँ उड़ रहा हूँ

अमीरों क़र्ज़ का, गट्ठर कहाँ है//३

.

लगे मय पी रहा है, आज वो भी

जहर पीता था, वो शंकर कहाँ है//४

.

बुराई झाँकती है, देख दिल से

छुपा उसको, तेरा अस्तर कहाँ है//५

.

सपोलें मारने से, कुछ न होगा 

चलो खोजें छिपा, अजगर कहाँ है//६

.

न तुम ढूंढो उसे, दैरो-हरम में 

कहोगे फिर, ख़ुदा घर पर कहाँ है//७ 

.

कुहासा बढ़ रहा है, फिर गली में

बताओ माँ, मेरी चादर कहाँ है//८

.

क़लम है ‘नाथ’ माँ है रौशनाई

कभी ढूँढा नहीं, दिलबर कहाँ है//९

.

"मौलिक व अप्रकाशित"

वज्न : कहाँ-12/है-2/कील-21/शर-2/नश्तर-22/कहाँ-12/है-2 [1222-1222-122]

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 1:17pm

वाह बहुत खुबसूरत अशआर ,बधाई जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 16, 2013 at 11:05pm

आदरणीय रामनाथ जी, छोटी बहर की शानदार गज़ल का हर अश'आर लाजवाब है.

सपोलें मारने से, कुछ न होगा 

चलो खोजें छिपा, अजगर कहाँ है//............वाह !!!!!

Comment by मोहन बेगोवाल on October 16, 2013 at 9:36pm

 आदरनीय राम भाई , आपकी गजल बहुत ही उम्दा ,हर शे'र का खना ,आपके शे'र तो अक्सर पढने को मिलते हें -बधाई हो ये बहुत अच्छा लगा 

तभी सोंचू के, मैं क्यूँ उड़ रहा हूँ

अमीरों क़र्ज़ का, गट्ठर कहाँ है//३

.

Comment by Sushil.Joshi on October 16, 2013 at 9:10pm

सुंदर भावों से सुसज्जित इस गज़ल के लिए दिली दाद स्वीकारें आदरणीय रामनाथ जी....

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 16, 2013 at 8:05pm

आदरणीय शोधार्थी भार्इ जी,  वाह!  खूब सूरत गजल के लिए हार्दिक बधार्इ स्वीकारें।  सादर,

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 16, 2013 at 7:42pm

बहुत  ख़ूब ग़ज़ल... बहुत बहुत बधाई

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 16, 2013 at 7:15pm

आदरणीय राम नाथ भाई , बेहतरीन गज़ल !!! सभी शेर उम्दा कहे है !!!

सपोलें मारने से, कुछ न होगा 

चलो खोजें छिपा, अजगर कहाँ है//६    --------  वाह वा ........... ढेरों दाद कुबूल करें !!!

Comment by Abhinav Arun on October 16, 2013 at 7:12pm

सपोलें मारने से, कुछ न होगा 

चलो खोजें छिपा, अजगर कहाँ है//६

.....bahut khoob आ. शोधार्थी जी अच्छे अश'आर हुए हैं हार्दिक बधाई आपको

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 16, 2013 at 6:47pm

बढ़िया आदरणीय रामनाथ जी अच्छे भावों से सजी ग़जल के लिये बधाई

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