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ग़ज़ल - बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था

२१२२      २१२२      २१२२     २१२

बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था

धूम थी रानाइयों की दिल मेरा तन्हा भी था

 

इक नदी थी नाव भी थी और था मौसम हसीं

साथ तुम थे बाग़ गुल थे इश्क मस्ताना भी था

 

यार की गलियों  गया मैं फिर से लेकर आरज़ू

कुछ पुराने ख्वाब थे हर सिम्त वीराना भी था

 

कैसे - कैसे लोग मिलते हैं यहाँ देखो सही

बात में चीनी घुली थी दिल मगर काला भी था

 

वो अज़ब ही दौर था हर बात पर हँसते थे हम

ये जहाँ  गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था

अमित दुबे

मौलिक व अप्रकाशित

(संशोधित)

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 7, 2014 at 7:09am

भाई अमित जी अच्छी ग़ज़ल है .हार्दिक बधाई .

बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था
धूम थी रानाइयों की दिल मेरा तन्हा भी था

ज़िन्दगी गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था

लाजवाब शेर हैं .

Comment by Saarthi Baidyanath on January 6, 2014 at 10:42pm

इक नदी थी नाव भी थी और था मौसम हसीं

साथ तुम थे बाग़ गुल थे इश्क मस्ताना भी था....जिंदाबाद साहब 

 

वो अज़ब ही दौर था हर बात पर हँसते थे हम

ज़िन्दगी गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था...लाजवाब शेर .....बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है ! दाद हाजिर है :)

 

Comment by ajay sharma on January 6, 2014 at 10:22pm

वो अज़ब ही दौर था हर बात पर हँसते थे हम

ज़िन्दगी गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था..................

vishesh taur se bahut hi achha laga 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 6, 2014 at 7:26pm

//बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था
धूम थी रानाइयों की दिल मेरा तन्हा भी था// बहुत खूब भाई अमित जी
बेहतरीन ग़ज़ल है दाद कुबुल करें

Comment by sanju shabdita on January 6, 2014 at 6:15pm

बज़्म थी तारों की उसमें चाँद का पहरा भी था

धूम थी रानाइयों की दिल मेरा तन्हा भी था       मनमोहक मतला

वो अज़ब ही दौर था हर बात पर हँसते थे हम

ज़िन्दगी गोया लतीफ़ा मस्त बचकाना भी था        वाह वाह

बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आ० अमित जी

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:08pm

आदरणीया कुन्ती जी आपका हार्दिक आभार

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:07pm

आदरणीय भंडारी जी आपका हार्दिक आभार

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:06pm

आदरणीय आशुतोष जी आपका बहुत आभार

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:05pm

आदरणीय राज बुन्देली जी रचना अनुमोदन हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by अमित वागर्थ on January 6, 2014 at 6:04pm

आदरणीय अभिनव जी आपका हार्दिक आभार

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