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नैन कटीले …

नैन कटीले होठ रसीले
बाला ज्यों मधुशाला
कुंतल करें किलोल कपोल पर
लज्जित प्याले की हाला
अवगुंठन में गौर वर्ण से
तृषा चैन न पाये
चंचल पायल की रुनझुन से मन
भ्रमर हुआ मतवाला
प्रणय स्वरों की मौन अभिव्यक्ति
एकांत में करे उजाला
मधु पलों में नैन समर्पण
करें प्रेम श्रृंगार निराला

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Sushil Sarna on November 8, 2014 at 7:13pm

आदरणीया  rajesh kumari   जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2014 at 6:44pm

शृंगार रस में पगी रचना ..वाह ..बधाई आपको 

Comment by Sushil Sarna on November 8, 2014 at 1:31pm

आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया   जी रचना के  पर आपकी स्नेहिल स्वीकृति ने रचना को जो मान बढ़ाया है उसके लिए आपका हार्दिक आभार।  

Comment by Sushil Sarna on November 8, 2014 at 1:30pm

आदरणीय arun kumar nigam     जी रचना के  पर आपकी स्नेहिल स्वीकृति ने रचना को जो मान बढ़ाया है उसके लिए आपका हार्दिक आभार।  

Comment by Sushil Sarna on November 8, 2014 at 1:29pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी रचना के भावों पर आपकी स्नेहिल स्वीकृति ने रचना को जो मान बढ़ाया है उसके लिए आपका हार्दिक आभार। आदरणीय सौरभ जी द्वारा की गयी टिप्पणी पर आपका वक्तव्य सहज स्वीकार्य है। उनके मार्गदर्शन का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। उनकी हर टिप्पणी रचनाकार को उजाले की ओर ले जाती है। ये मेरा सौभाग्य है कि आदरणीय सौरभ जी ने अपने व्यस्त समय से समय निकाल रचना पर अपनी उपस्थिति से उसे गौरान्वित किया। हार्दिक आभार।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 8, 2014 at 9:25am

बहुत सुंदर रचना, बधाई आदरणीय शुशील जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 7, 2014 at 11:00pm
आदरणीय सुशील सरना जी, सुन्दर रचना के लिये बधाई ...

मधु पलों में नैन समर्पण
करें प्रेम श्रृंगार निराला.......वाह !!!!
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 7, 2014 at 7:24pm

सुन्दर है सरना जी

भाव पूर्ण , मधुर  i  सौरभ जी हमेशा परफेक्शन चाहते है  i इसीलिये  वे प्रायः कटु आलोचक नजर आते है i पर वे जो कहते है वह हम लेखको का मार्गदर्शन करता है  i इस सत्य में संदेह नहीं है i सादर i

Comment by Sushil Sarna on November 7, 2014 at 6:50pm
आदरणीय सौरभ जी रचना पर आपकी आत्मीय सकारात्मक प्रतिक्रिया एवं सुझाव हेतु हार्दिक आभार।
Comment by Sushil Sarna on November 7, 2014 at 6:48pm
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी रचना पर आपकी आत्मीय दृष्टि का हार्दिक आभार।

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