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करके घायल ......

करके घायल नयन बाण से 

मंद-मंद मुस्काते हो
दिल को देकर घाव प्यार के
क्योँ ओझल हो जाते हो
प्यार जताने कभी स्वप्न में
दबे पाँव आ जाते हो
कुछ न कहते अधरों से
बस नयनों से बतियाते हो
क्षण भर के आलिंगन को
तुम बरस कई लगाते हो
फिर आना का वादा करके
विछोह वेदना दे जाते हो

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 29, 2014 at 10:25pm

आदरणीय सरना जी, सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई ... कुछ अधूरी सी लग रही है रचना ... कुछ और विस्तार की गुंजाईश है ... पंक्तियों की लयात्मकता को देखते हुए एक सुझाव और है यदि उचित लगे तो 

क्षण भर के आलिंगन को........... क्षण भर के आलिंगन को तुम 
तुम बरस कई लगाते हो .......... ...कितने बरस लगाते हो 
फिर आना का वादा करके............ फिर आने का वादा देकर 
विछोह वेदना दे जाते हो...............  विरह वेदना दे जाते हो 

सादर 

Comment by Anurag Prateek on December 29, 2014 at 10:10pm

bahut achha sir 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 29, 2014 at 10:10pm

आदरणीय सरना जी भाव अच्छे हैं बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2014 at 7:59pm

सरना जी

भाव सुन्दर हैं i

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