For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- कोई सूरत तो हो कि तुझपे ऐ’तबार आये

2122- 1212- 1212- 22 /112

कोई सूरत तो हो कि तुझपे ऐ’तबार आये

क्या पता दिलफ़रेब बन के ग़मग़ुसार आये

 

मैं तुझे भूलने की कोशिशों में हूँ बेचैन

पर मुझे तेरा ही खयाल बार-बार आये

 

ज़ीस्त गुज़री ख़मोशियों के दरमियान मगर

ये हुआ वक़्ते मर्ग लोग बेशुमार आये

 

दिल नज़ारा ए रंगो गुल को कब से तरसे है

ऐ खुशी काश तू मिसाले नौबहार आये

 

कौन सा दह्र है ये कौन सी जगह है जहाँ

दूर तक बस नज़र गुबार ही गुबार आये

 

(दिलफ़रेब- धोखा देने वाला, ग़मग़ुसार- हमदर्द, वक़्ते मर्ग- मौत के समय

मिसाले नौबहार- बहार की तरह, दह्र- काल)

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1130

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 15, 2015 at 3:55pm

आदरणीय शिज्जू जी. .आपकी ग़ज़लों से कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है ..और हमेशा की तरह सुंदर भावों से सजी संवरी , लुभाती , सिखाती , लवों पे गुनगुनाहट बन के आती , दिल को खुशनुमा बनाती इस शानदार ग़ज़ल के लिए ढेर सारे बधाई स्वीकार करें . सादर 

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 15, 2015 at 11:10am
क्या लाजवाब गजल कही आदरणीय मजा आ गया कई शे'र मे तो बधाई स्वीकार करें!
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 15, 2015 at 9:55am
मैं तुझे भूलने की कोशिशों में हूँ बेचैन
पर मुझे तेरा ही खयाल बार-बार आये।
अच्छा है, बहुत अच्छा , बधाई, आदरणीय शिज्जु शकूर जी, सादर।
Comment by दिनेश कुमार on January 14, 2015 at 9:49pm
Gazal bahut badhiya hai...shabdon mein kaphii dum hai...waaaah....
Kya ess bahr mein koi famous filmi Geet bhi hai..?
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 14, 2015 at 6:36pm

मैं तुझे भूलने की कोशिशों में हूँ बेचैन

पर मुझे तेरा ही खयाल बार-बार आये

वाह सर जी खूब क्या खूब ग़ज़ल हुई है बधाई ,,,,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 14, 2015 at 2:17pm

शिज्जू जी, सभी अशआर अच्छे लगें, बहुत बहुत बधाई.

Comment by Hari Prakash Dubey on January 14, 2015 at 12:49pm

मैं तुझे भूलने की कोशिशों में हूँ बेचैन

पर मुझे तेरा ही खयाल बार-बार आये……….आदरणीय  शिज्जु "शकूर" जी, सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आपको   !

Comment by khursheed khairadi on January 14, 2015 at 12:25pm

कौन सा दह्र है ये कौन सी जगह है जहाँ

दूर तक बस नज़र गुबार ही गुबार आये

आदरणीय शिज्जु शकूर सर उम्दा ग़ज़ल हुई है ,ढेरों दाद कबूल फरमावें | ये क्या जगह है दोस्तों ये कौनसा  दयार है \ हदे निगाह तक जहाँ गुबार ही गुबार है '  की  याद ताज़ा कर दी आपने |  यह शेर काफ़ी पसंद आया |ढेरों  दाद वाह  

ज़ीस्त गुज़री ख़मोशियों के दरमियान मगर

ये हुआ वक़्ते मर्ग लोग बेशुमार आये

सादर अभिनन्दन 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 14, 2015 at 12:23pm

आदरणीय शिज्जु भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें ।

दिल नज़ारा ए रंगो गुल को कब से तरसे है

ऐ खुशी काश तू मिसाले नौबहार आये              ---------- बहुत सुन्दर !! आमीन

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 14, 2015 at 11:58am

शिज्जू भाई

बेहतरीन i सभी अशआर उम्दा i  बधाई  स्वीकार करें i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service