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ठहर जाता तो अच्छा था- एक ग़ज़ल बसंत की

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

 

मापनी 1222 1222 1222 1222

इधर  जाता तो अच्छा था, उधर जाता तो अच्छा था.

रहा भ्रम में, कहीं पर यदि, ठहर जाता तो अच्छा था.

 

उभर आता तो अच्छा था, हृदय का घाव चेहरे पर,

हमारा  दर्द  भी हद से, गुजर जाता तो अच्छा था.

 

उधर घुसकर गए भी थे, सिखाया था सबक भी कुछ,

वहाँ  पर  यदि तिरंगा भी फहर जाता तो अच्छा था

 

किनारे पर रहा अठखेलियाँ करता, न पाया कुछ,  

अगर गहरे समंदर में उतर जाता तो अच्छा था

 

उन्होंने ख्वाब दिखलाये, सभी को आसमानों के.

जमीं पर एक घर भी अब, सँवर जाता तो अच्छा था

 

हमारे गाँव की मिटटी, रही बुनियाद शहरों की,

कँगूरों तक भी थोड़ा सा, असर जाता तो अच्छा था

 

पहाड़ों से बहा तो जल,  गया देखो समंदर में,

जहाँ उसकी जरूरत थी, ठहर जाता तो अच्छा था

 

“मौलिक एवं अप्रकाशित”

 

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Comment

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 12:57pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी अतिशय आभार आपका, सुझाव अनुकरणीय , पालन कर दिया है , इसी तरह मर्दार्ष्ण की अपेक्षा, सादर नमन आपको  

Comment by Mohammed Arif on September 19, 2017 at 9:25am
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र बढ़िया । गुणीजनों की बातों से सहमत हूँँ । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on September 18, 2017 at 3:19pm
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब गिरिराज भंडारी जी से सहमत हूँ ।
आख़री शैर के ऊला मिसरे में 'लेकिन'शब्द की जगह 'देखो' शब्द मुनासिब होगा ।
Comment by नाथ सोनांचली on September 18, 2017 at 1:08pm
आद0 बसन्त जी सादर अभिवादन, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, बधाई।
गिरिराज भाई जी की बातों का संज्ञान लीजियेगा।
Comment by Shyam Narain Verma on September 18, 2017 at 12:52pm
बहूत खूब, हार्दिक बधाई l सादर
Comment by SALIM RAZA REWA on September 18, 2017 at 12:35pm
आ. बसंत कुमार जी सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 18, 2017 at 8:07am

बहुत खूब , आदरणीय बसंत भाई अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाइइयाँ ।

जमीं पर एक घर भी यदि  --  मिसरा सही है , फिर भी चाहें तो ऐसा कह के देख सकते हैं . यदि पढ़्ने मे अटक रहा है
जमी पर एक घर भी अब सँवर जाता तो अच्छा था --  सोच लीजियेगा ।

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