For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी दस्तार ख़ानदानी है- ग़ज़ल

2122/1212/22
------------------------------
हार तूफ़ान से न मानी है
कश्ती ने तैरने कि ठानी है


मेरी पलकों पे ये जो पानी है
ऐ मुहब्बत तेरी निशानी है


हमने माना बहुत पुरानी है
पर बहुत ख़ूब ये कहानी है


दिल पे चस्पां है जो नही मिटती
यूूँ तेरी हर शबीह फानी है


राख मैं कर चुका तेरे ख़त को
याद लेकिन मुझे ज़बानी है


हर किसी दर पे ये नही झुकती
मेरी दस्तार ख़ानदानी है


पहली बारिश है तिफ़्ल बन जाओ
फेंक दो क्यूँ ये छतरी तानी है


आब-संदल कभी थे हम दोनों
आज इक आग दूजा पानी है


जिसका अंजाम जंग तक पहुँचे
बात इतनी नहीं बढ़ानी है


उम्र सरहद को सौंपने वाले
कौन तुझसा यहाँ पे दानी है


इश्क़, फ़ुर्क़त, विसाल, रुसवाई
आशिक़ों की यही कहानी है
-----------------------------------------

शबीह- तस्वीर/ चित्र

----------------------------------------

गजेन्द्र श्रोत्रिय

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 878

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gajendra shrotriya on January 8, 2019 at 1:52pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी।

Comment by Gajendra shrotriya on January 8, 2019 at 1:51pm

मेरे प्रयास की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार आ० मो० अनीस साहब।

Comment by Gajendra shrotriya on January 8, 2019 at 1:48pm

आदरणीय समर कबीर साहिब सादर अभिवादन, 

दिल पे चस्पा है जो सिवा उसके
तेरी हर इक शबीह फानी है'

इस शैर में मेंने कहने की कोशिश की है कि, दिल में स्थायी रूप से बस चुकी प्रियतम की तस्वीर  कभी मिट नही सकती, चाहे उसके अन्य सभी भौतिक चित्र नष्ट हो जाने हैं, शायद ठीक से कह नही पाया।

'चस्पा' को  "चस्पां" कर लूंगा

'हर किसी दर पे ये नही झुकती
मेरी दस्तार ख़ानदानी है'

इस शैर में किसी ख़ानदानी व्यक्ति के गर्व के प्रतीक रुप में दस्तार को लिया है।

//आब'(पानी) और 'संदल का क्या जोड़ है?//

चंदन पानी में घुलकर, माथे का तिलक बनता है। यहाँ पर इसी भाव को दर्शाने की कोशिश की है आदरणीय।

आगे आप जो भी उचित समझें, परामर्श दें।

सादर।

Comment by Md. Anis arman on January 7, 2019 at 8:32pm

राख मैं कर चुका तेरे ख़त को
याद लेकिन मुझे ज़बानी है | बहुत खूब गजेन्द्र जी अच्छी ग़ज़ल हुई है 

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2019 at 9:01am

आद0 गजेंद्र श्रोत्रिय जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल अच्छी कही आपने। आद0समर साहब के इस्लाह पर गौर कीजयेगा। शैर दर शैर बधाई निवेदित करता हूँ।

Comment by Samar kabeer on January 6, 2019 at 10:41pm

जनाब गजेन्द्र श्रोत्रिय जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'दिल पे चस्पा है जो सिवा उसके
तेरी हर इक शबीह फानी है'

इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं है,दूसरी बात ये कि 'चस्पा' शब्द ग़लत है,सहीह शब्द है "चस्पां"

'हर किसी दर पे ये नही झुकती
मेरी दस्तार ख़ानदानी है'

इस शैर के बारे में ये कहना है कि "दस्तार" पगड़ी को कहते हैं और पगड़ी के लिए झुकना मुनासिब नहीं क्योंकि झुकता सर है,जिस पर पगड़ी होती है,यहाँ "गिरती" शब्द मुनासिब होगा,ग़ौर करें ।

'आब-संदल कभी थे हम दोनों'

'आब'(पानी) और 'संदल का क्या जोड़ है?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
20 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
21 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
21 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service