For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122--1122--1122--112


फैसले के लिए सिक्का न उछाला जाए
जान माँगे जो वतन वक़्त न टाला जाए

हाँ मैं हूँ मुल्क़ तुम्हारा न उछालो मिट्टी
नौज़वानों मुझे गड्डे से निकाला जाए

अच्छे अच्छों के किये होश ठिकाने लेकिन
होश में हो जो उसे कैसे सँभाला जाए

आपने कह दिया झट से कि मैं, मैं हूँ ही नहीं
मेरे भीतर मुझे थोड़ा तो खँगाला जाए

ज़ह्र के दाँत उखाड़ो कि कुचल डालो फन
आस्तीनों में यूँ नागों को न पाला जाए

मुफ़लिसी ने मिरी आगाह किया है मुझको
यार पव्वे के लिए वोट न डाला जाए

कोई 'खुरशीद' कहीं हो तो सुने मेरी सदा
गाँव के आख़री घर तक भी उजाला जाए

मौलिक और अप्रकाशित।
© 'खुरशीद' खैराड़ी जोधपुर।

09413408422

Views: 1516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 15, 2017 at 12:15am

आदरणीय  khursheed khairadi साहब,
यूँ पूरी ग़ज़ल ही बहुत उम्दा हुई है पर मक्ता का तो जवाब नहीं | दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें | 

Comment by Ravi Shukla on August 6, 2017 at 1:03pm

आदरणीय खुर्शीद जी कमाल की ग़ज़ल कही आपने हर शेर उम्दा है मकता खासतौर पर पसंद आया इसके लिए दिली मुबारकबाद कुबूल करें

Comment by vijay nikore on August 2, 2017 at 9:47am

बहुत ही अच्छी गज़ल कही है, जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब । दिल से बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 1, 2017 at 11:41am

आ. भाई खुर्शीद जी सुंदर गजल हूई है। हार्दिक बधाई ।

Comment by Gurpreet Singh jammu on August 1, 2017 at 9:27am

कोई 'खुरशीद' कहीं हो तो सुने मेरी सदा
गाँव के आख़री घर तक भी उजाला जाए
वाह वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय खुर्शीद जी

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 31, 2017 at 8:06pm
वाह वाह आदरणीय बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई..सादर
Comment by Samar kabeer on July 31, 2017 at 3:33pm
जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'आपने कह दिया झट से कि मैं,मैं हूँ ही नहीं'
इस मिसरे में 'मैं,मैं'कुछ अच्छा नहीं लग रहा है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
46 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service