For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम पचीसी(दोहे)

प्रीत-पगे दोहे (प्रेम-पचीसी)
मुझको मुझसे छीनकर, बनते हो अनजान ।
निर्मोही तुमको कहूँ, या समझूँ नादान ।। ... 1

झरना साजन तुम भए, मैं जन्मों की प्यास ।
पीकर भी प्यासी मरुँ, रहता कंठ उदास ।। ... 2

प्रीत छुपाऊँ किस तरह, कैसे ढाँकूँ लाज ।
फूलों से छुपता नहीं, काँटों का यह ताज ।। ... 3

तुम सावन के मेघ हो, मैं मरुधर की रेत ।
जा बरसे हो बाग़ में, कैसे पनपे हेत ।। ... 4

संग तुम्हारे जो कटा, वो पल है अनमोल ।
तुम बिन सूना जो रहा, वो दिन फूटा ढोल ।। ... 5

साजन तुम हो राजपथ, मैं पगडंडी गैल ।
आओगे कब गाँव में, बाट उडीकूँ छैल ।। ... 6

तुम शहरों की धूम हो, मैं गाँवों की पीर ।
साजन मेरी आँख का, कब सूखेगा नीर ।। ... 7

तेरे रस्ते पर बिछे, मेरे बेसुध प्राण ।
साजन तेरी चाह का, गड़ा हुआ है बाण ।। ... 8

तेरे दर्शन का अमृत, भर लूँ दोनों नैन ।
घूँट-घूँट तुझको सजन, पीऊँ सारी रैन ।। ... 9

तुझको सोचूँ रात दिन, अज़ब हुआ है हाल ।
बढ़ता जाता है मरज़, मुझको आन सँभाल ।। ... 10

रात हमारे पास है, नींद तुम्हारे पास ।
तुम सोवो हम जाग लें, यही जिया की आस ।। ... 11

साजन तुम तरुवर घने, मैं मुरझाई बेल ।
याद रहेगा उम्र-भर, चार दिनों का मेल ।। ... 12

मन रेशम की पोटली, शोला तेरा प्यार ।
आग लुकाऊँ किस तरह, हँसता है संसार ।। ... 13

नींद उड़ाकर ले गए, छोड़ गए क्यों जान ।
तुम बिन जीना है कठिन, मर जाना आसान ।। ... 14

इक पलड़े में पीव है, दूजे में संसार ।
प्रेम-तराजू झुक गया, काँटा पहुँचा पार ।। ... 15

प्रेम न जाने वासना, प्रेम न जाने डाह ।
खर्चो तो खूटे नहीं, मन में प्रेम अथाह ।। ... 16

नींद उड़ाकर ले गई, साजन तेरी याद ।
जागी तो सोई नहीं, नयन-मिलन के बाद ।। ... 17

जबसे तेरी लौ लगी, जलती हूँ दिन रात ।
बाहर काली रैन है, भीतर है परभात ।। ... 18

उल्फ़त अपना दीन है, दिलबर है अल्लाह ।
आयत जैसी पाक है, दीवाने की आह ।। ... 19

कलमा तेरे नाम का, पढ़ कर दिल है शाद ।
सिज़्दा तेरे रूप को, मन में तेरी याद ।। ... 20

साजन तुम तो दूर हो, ऊँची नभ की डार ।
उचकूँ कितना भी मगर, हाथ न आये प्यार ।। ... 21

मेरी पूजा-आरती, मेरा व्रत-उपवास ।
साजन तेरा प्यार ही, मेरा सत-संन्यास ।। ... 22

अंधे का सपना भई, गूँगे का है गीत ।
किस विध समझाऊँ तुझे, अपने मन की प्रीत ।। ...23

साजन झौंका वात का, मैं बुझती सी जोत ।
नूर बचाले नेह का, अँधियारा मत पोत ।। ... 24

तुम जैसा कोई नहीं, मेरे जैसे लाख ।
हुंडी लिख दो प्रेम की, बढ़ जायेगी साख ।। ... 25
मौलिक एवम् अप्रकाशित ।
© 'खुरशीद' खैराड़ी जोधपुर 9413408422

Views: 1263

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 5, 2017 at 1:42pm

इन भाव-प्रवण दोहों पर अशेष बधाइयाँ स्वीकारें, आदरणीय खुर्शीद भाई. आपकी रचनाओं का भाव पक्ष इतना सशक्त होता है कि हृदय भावमय हुआ मुग्ध हो जाता है. समर्पण का यह देसज भाव अत्युच्च निवेदन का सुन्दर उदाहरण है. 

अब तो इस शृंखला के अन्य दो भागों को तुरत पढ लेने की हो रही है. 

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2017 at 6:22pm

आदरणीय ख्र्शीद भाई , सभी 25 दोहे लाजवाब हैं , बधाई स्वीकार करें \

Comment by Samar kabeer on September 1, 2017 at 10:07pm
जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी जी आदाब,आपके प्रेम पचीसी दोहे बहुत अच्छे लगे,प्रवाह और शिल्प दोनों ही सशक्त हैं,बहुत ख़ूब वाह, इस बधिय प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
दोहा नम्बर 9 में 'पीऊँ'शब्द सही है क्या,या 'पियूँ" से बनाया गया शब्द है ?
Comment by Mohammed Arif on September 1, 2017 at 11:18am
आदरणीय खुर्शीद खैराड़ी जी आदाब, बहुत सुंदर प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है इन दोहों में । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by PHOOL SINGH on August 31, 2017 at 4:07pm

बेहतरीन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
14 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service