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क्षणिकाएँ --3 --- डा० विजय शंकर

वो सब जो
वन्दनीय है,
पूज्य है ,स्तुत्य है ,
...........त्याज्य है |
वो , जो
निंदनीय है ,
अधर्म है , अपकार है ,
...स्वीकार है , अंगीकार है ||

* * * * * * * * * * * * * * * * *

बेईमान व्यवस्था में
प्रश्न यह नहीं होता
कि कौन ईमानदार है ?
प्रश्न केवल यह होता है
कि किसको बेईमानी का
कितना अधिकार है ॥

* * * * * * * * * * * * * * * * *

संबंधों में
नमक की अहमियत
बनाये रखिये ,
सम्बन्ध ता-उम्र
खुद- ब - खुद मीठे रहेंगें ||

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on September 24, 2014 at 7:56pm
आपके सटीक मूल्यांकन के लिए बहुत बहुत आभार , आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , कोशिश यही रहती है कि कुछ ऐसा लिखा जाये जिसे पढ़ कर मन कुछ सोचे , कुछ करने कि सोचे , कुछ होने कि सोचे . आपकी विवेचना से बल मिलता है , सादर .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 24, 2014 at 6:10pm

विजय सर i

पसरी रेत पर

पडी हो रौप्य  कणिका

अनुभूतियाँ झकोरती है

लघु काव्य क्षणिका ------------ सादर i

 

 

 

 

 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 23, 2014 at 7:18pm
आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी , आपको क्षणिकाएँ पसंद आयीं , बहुत अच्छा लगा , बधाई के लिए धन्यवाद .
Comment by khursheed khairadi on September 23, 2014 at 10:23am

बेईमान व्यवस्था में

प्रश्न यह नहीं होता

कि कौन ईमानदार है ?

प्रश्न केवल यह होता है

कि किसको बेईमानी का

कितना अधिकार है ॥

आदरणीय विजयशंकर जी ,बहुत गंभीर क्षणिकाएं हैं |सादर अभिनन्दन 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 22, 2014 at 11:37pm
आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी , प्रशस्ति के लिए आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद , सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 22, 2014 at 11:33pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी .
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 22, 2014 at 11:31pm
क्षणिकायें आपको अच्छी लगी , अच्छा लगा जानकार , आपकी प्रशंसा के लिये आभार एवं बधाई के लिये धन्यवाद आदरणीय छाया शुक्ला जी , सादर .
Comment by harivallabh sharma on September 22, 2014 at 8:19pm

गागर में सागर भरती हुयीं तीक्ष्ण धारदार क्षणिकाएं गहरा प्रभाव छोड़ने में सक्षम हैं...बधाई आपकी सार्थक रचनाओं हेतु आदरणीय 

Comment by Chhaya Shukla on September 22, 2014 at 12:23pm

आ.विजय शंकर जी क्षनिकाएं बहुतकुछ कह गईं प्रभावी लगीं बधाई आपको सादर नमन ! 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 21, 2014 at 10:27pm
आदरणीय संतलाल करुण जी आपको क्षणिकाएँ पसंद आई ,आभार। सद्भावनाओं के लिए धन्यवाद .

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