For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएँ --3 --- डा० विजय शंकर

वो सब जो
वन्दनीय है,
पूज्य है ,स्तुत्य है ,
...........त्याज्य है |
वो , जो
निंदनीय है ,
अधर्म है , अपकार है ,
...स्वीकार है , अंगीकार है ||

* * * * * * * * * * * * * * * * *

बेईमान व्यवस्था में
प्रश्न यह नहीं होता
कि कौन ईमानदार है ?
प्रश्न केवल यह होता है
कि किसको बेईमानी का
कितना अधिकार है ॥

* * * * * * * * * * * * * * * * *

संबंधों में
नमक की अहमियत
बनाये रखिये ,
सम्बन्ध ता-उम्र
खुद- ब - खुद मीठे रहेंगें ||

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 24, 2014 at 7:56pm
आपके सटीक मूल्यांकन के लिए बहुत बहुत आभार , आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , कोशिश यही रहती है कि कुछ ऐसा लिखा जाये जिसे पढ़ कर मन कुछ सोचे , कुछ करने कि सोचे , कुछ होने कि सोचे . आपकी विवेचना से बल मिलता है , सादर .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 24, 2014 at 6:10pm

विजय सर i

पसरी रेत पर

पडी हो रौप्य  कणिका

अनुभूतियाँ झकोरती है

लघु काव्य क्षणिका ------------ सादर i

 

 

 

 

 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 23, 2014 at 7:18pm
आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी , आपको क्षणिकाएँ पसंद आयीं , बहुत अच्छा लगा , बधाई के लिए धन्यवाद .
Comment by khursheed khairadi on September 23, 2014 at 10:23am

बेईमान व्यवस्था में

प्रश्न यह नहीं होता

कि कौन ईमानदार है ?

प्रश्न केवल यह होता है

कि किसको बेईमानी का

कितना अधिकार है ॥

आदरणीय विजयशंकर जी ,बहुत गंभीर क्षणिकाएं हैं |सादर अभिनन्दन 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 22, 2014 at 11:37pm
आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी , प्रशस्ति के लिए आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद , सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 22, 2014 at 11:33pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी .
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 22, 2014 at 11:31pm
क्षणिकायें आपको अच्छी लगी , अच्छा लगा जानकार , आपकी प्रशंसा के लिये आभार एवं बधाई के लिये धन्यवाद आदरणीय छाया शुक्ला जी , सादर .
Comment by harivallabh sharma on September 22, 2014 at 8:19pm

गागर में सागर भरती हुयीं तीक्ष्ण धारदार क्षणिकाएं गहरा प्रभाव छोड़ने में सक्षम हैं...बधाई आपकी सार्थक रचनाओं हेतु आदरणीय 

Comment by Chhaya Shukla on September 22, 2014 at 12:23pm

आ.विजय शंकर जी क्षनिकाएं बहुतकुछ कह गईं प्रभावी लगीं बधाई आपको सादर नमन ! 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 21, 2014 at 10:27pm
आदरणीय संतलाल करुण जी आपको क्षणिकाएँ पसंद आई ,आभार। सद्भावनाओं के लिए धन्यवाद .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service