For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सारा हिन्दुस्तान

पढ़ी - लिखी जो गृहणियाँ

देखें निज परिवार

घर में बूढ़ी सास हैं

और श्वसुर लाचार

शिशु जिनके हैं पालने

सेवा की दरकार

आया पर छोड़ें नहीं

सहें स्वयं सब भार

गढ़ती हैं व्यक्तित्व वह

जिस विधि कोई कुम्हार

खोट सुधार सहन करें

चाहे विघ्न हजार

सदा करें निष्काम हो

सबके सुख की वृद्धि

प्रेम , हर्ष , ऐश्वर्य की

होती तभी समृद्धि

घर कुटुम्ब के हेतु जो

अपना सुख दे वार

उस गृहणी को नमन है

बार - बार , शत बार

मान करो उस नारि का

आलय की आधार

नीव अगर मजबूत हो 

टूटे क्यों दीवार ?

ऐसी नारी को अगर

मिले नहीं सम्मान

दोषी सर्व समाज संग

सारा हिन्दुस्तान

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha Awasthi on August 26, 2020 at 5:54am

रचना अच्छी लगी ,जान कर खुशी हुई ।

आभार आपका

Comment by आशीष यादव on August 26, 2020 at 12:19am

Very good creation हुआ है। congratulations स्वीकार कीजिए।

Comment by Usha Awasthi on August 24, 2020 at 1:41pm

 आभार , शीला शीला जी

Comment by Sheela Sharma on August 24, 2020 at 9:49am

आदरणीया दीदी, रचन के लिये बधाई।

Comment by Usha Awasthi on August 21, 2020 at 6:29pm

आ0 समर कबीर जी, आदाब ,आपको रचना अच्छी लगी , यह जान कर खुशी हुई। हार्दिक धन्यवाद आपको 

Comment by Samar kabeer on August 21, 2020 at 3:46pm

मयहटरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब, अच्छी रचना हुई, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Usha Awasthi on August 20, 2020 at 9:07am

भाई लक्ष्मण धामी  ' मुसाफिर '  जी ,  प्रणाम ।

हार्दिक धन्यवाद आपको।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2020 at 4:22am

आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन । अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service