For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की- मेरी आँखों में तुम को ख़ाब मिला?

मेरी आँखों में तुम को ख़ाब मिला?
या निचोडे से  सिर्फ आब मिला.
.

सोचने दो मुझे समझने दो
जब मिला बस यही जवाब मिला.
.

दिल ने महसूस तो किया उस को   
पर न आँखों को ये सवाब मिला.
.

मैकदे में था जश्न-ए-बर्बादी
जिस में हर रिन्द कामयाब मिला.
.

इतना अच्छा जो मिल गया हूँ मैं
इसलिए कहते हो “ख़राब मिला.”
.

“नूर” चलने से पहले इतना कर
अपने हर कर्म का हिसाब मिला.
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित  

Views: 944

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 8, 2021 at 12:31pm

धन्यवाद आ. बृजेश जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 3, 2020 at 8:40pm

वाह बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय नीलेश जी...

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 2, 2020 at 5:07pm

धन्यवाद आ. सालिक जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 2, 2020 at 5:07pm

आ. रूपम जी,

शाइरी भी तो इशारों ही में होती है ..
सादर 

Comment by सालिक गणवीर on November 2, 2020 at 12:15pm

आदरणीय भाई निलेश जी
सादर अभिवादन
बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने ,दाद के साथ मुबारक़बाद पेश करता हूँ

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 1, 2020 at 3:36pm

धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 31, 2020 at 5:36pm

आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन । एक और उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 31, 2020 at 5:12pm

धन्यवाद आ. मीत जी..
आपके सवाल का जवाब आपको आपके विवाह के बाद मिल जाएगा :) :) :-)

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 31, 2020 at 5:11pm

धन्यवाद आ. समर सर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 31, 2020 at 5:11pm

धन्यवाद आ. तेजवीर सिंह साहब 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service