For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने  दोहे .......

पत्थर को पूजे मगर, दुत्कारे इन्सान ।
कैसे ऐसे जीव का, भला करे भगवान ।1।

पाषाणों को पूजती, कैसी है सन्तान ।
मात-पिता की साधना, भूल गया नादान ।2।

पूजा सारी व्यर्थ है, दुखी अगर माँ -बाप ।
इससे बढ़कर  सृृष्टि में , नहीं दूसरा  पाप।3।

सच्ची पूजा का नहीं, समझा कोई अर्थ ।
बिना कर्म संंसार में,अर्थ सदा है व्यर्थ ।4।

मन से जो पूजा करे, मिल जाएँ भगवान ।
पत्थर के भगवान में, आ जाते हैं प्रान ।5।

झूठी पूजा से प्रगट , कैसे हों भगवान ।
धन लोलुप तो माँगता, धन का बस वरदान ।6।

चाहे पूजो राम तुम, चाहे पूजो श्याम ।
मन में जब तक छल-कपट, व्यर्थ ईश का नाम ।7।

सुशील सरना / 16-10-21

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 483

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 2, 2021 at 4:26pm

सुंदर दोहे हुए आदरणीय सरना जी..हार्दिक बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 20, 2021 at 11:05pm

आदरणीय सुशील सरना जी ,
सच्ची पूजा का नहीं, समझा कोई अर्थ ।
बिना कर्म संंसार में,अर्थ सदा है व्यर्थ ।4।
सारा सार तो इसमें है , बहुत खूब , हार्दिक बधाई ! सादर।

Comment by Samar kabeer on October 19, 2021 at 6:56pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब , दोहों का प्रयास अच्छा है बधाई स्वीकार करें I 

`पत्थर को पूजे मगर, दुत्कारे इन्सान`---इस मिसरे के दुसरे हिस्से का वाक्य विन्यास ठीक नहीं , देखें I

`पाषाणों को पूजती, कैसी है सन्तान ।
मात-पिता की साधना, भूल गया नादान`--इस दोहे की पहली पंक्ति के दुसरे चरण में `है की जगह "ये" और  दूसरी पंक्ति के दुसरे चरण में  `गया` की जगह "गये" होना चाहिए मेरे ख़याल से विचार कीजिएगा I 

`मन से जो पूजा करे, मिल जाएँ भगवान ।
पत्थर के भगवान में, आ जाते हैं प्रान `--इस दोहे की तुकांतता दुरुस्त नहीं है क्यूंकि सहीह शब्द "प्राण " है , देखिएगा I 

`चाहे पूजो राम तुम, चाहे पूजो श्याम `-- इस पंक्ति के पहले हिस्से में `तुम` की जगह "को" शब्द उचित होगा ,विचार करें I 

    

Comment by Sushil Sarna on October 17, 2021 at 4:35pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर । सादर नमन
Comment by Sushil Sarna on October 17, 2021 at 4:35pm
आदरणीय छोटे लाल सिंह जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 17, 2021 at 12:55pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, बहुत अर्थपूर्ण और संदेशप्रद दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 17, 2021 at 11:18am
आदरणीय सुशील सरना जी बहुत ही दमदार दोहे वह भी सन्देशप्रद दिल से बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
11 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service