For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आँधियों से क्या गिला. . . . .

आँधियों से क्या गिला .....

2122  2122  2122  212

रूठ जाएँ मंजिलें  तो  रहबरों  से  क्या गिला
हो समन्दर बेवफ़ा तो कश्तियों से क्या गिला

टूट जाए घर किसी का ग़र  हवाओं  से  कहीं
वक्त ही ग़र हो बुरा तो आँधियों से क्या गिला

याद आया वो शज़र जिस पर गिरी थी बारिशें
आज भीगे हम अकेले  बारिशों से क्या  गिला

ज़ख्म  यादों के  न जाने आज क्यूँ रिसने  लगे
दर्द के हों  जलजले  तो आँसुओं से क्या गिला

ज़िन्दगी के रास्ते हैं  आज क्यूँ ख़ामोश से
दे गये अपने दगा तो दुश्मनों से क्या गिला

सुशील सरना / 25-5-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 646

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 14, 2022 at 2:19pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार । सर आवश्यक संशोधन मैनें पूर्व में कर दिए थे । सादर नमन सर
Comment by Samar kabeer on June 8, 2022 at 3:11pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I 

तलफ़्फ़ुज़ के बारे में जनाब अमीर जी की बात पर ध्यान दें I 

Comment by Sushil Sarna on June 5, 2022 at 8:18pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 5, 2022 at 1:03pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2022 at 8:21pm
आदरणीय दयाराम जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सादर नमन
Comment by Sushil Sarna on June 4, 2022 at 8:19pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । आपकी सलाह का दिल से आभार । सुझाव के अनुसार मैं अभी संशोधित कर प्रेषित करता हूँ । सादर नमन
Comment by Dayaram Methani on June 2, 2022 at 3:05pm

आदरणीय सुशील सरना जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 28, 2022 at 11:51pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, क्या बहतरीन अंदाज़ के साथ ख़ूबसूरत अहसासात से लबरेज़ ग़ज़ल कही है, वाह! मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।

'टूट जाए घर किसी का ग़र हवाओं से कहीं

वक्त ही ग़र हो बुरा तो आँधियों से क्या गिला ... इस शे'र को यूँ कहना उचित होगा - 

टूट जाए घर किसी का इन  हवाओं  से  अगर 
वक़्त अपना ही न हो तो आँधियों से क्या गिला

सहीह तलफ़्फ़ुज़ - मंज़िलें, गर, शजर, ज़ख़्म, ज़लज़ले, दग़ा ।

Comment by Sushil Sarna on May 26, 2022 at 11:59am
आदरणीया जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
Comment by रक्षिता सिंह on May 25, 2022 at 7:36pm

आदरणीय सुशील जी, सादर प्रणाम । बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service