For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - ग़मों का दौर हूँ मैं

ग़ज़ल - ग़मों का दौर हूँ मैं

ग़मों का दौर हूँ मैं ,

ग़ज़ल है और हूँ मैं |

 

दशहरी गंध तुम हो ,

तुम्हारी बौर हूँ मैं |

 

तेरा हर तिल गिना है ,

नज़र का गौर हूँ मैं |

 

हो तुम सपनीली आँखें ,

उनींदी ठौर हूँ मैं |

 

मुझे सबने सहेजा ,

हाँ अंतिम कौर हूँ मैं |

 

सज़ा बाज़ार में हूँ ,

मगर सिरमौर हूँ मैं |

  

{अभिनव अरुण - मेरा लेखकीय नाम }

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on August 5, 2011 at 9:07pm
आभार आशीष जी आपकी अपनत्व भरी टिप्पणी मेरी कलम की सियाही है !!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 3, 2011 at 10:35pm

इस ग़ज़ल के लिये बधाई..

हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह.. सही है.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 3, 2011 at 9:16pm

मुझे सबने सहेजा ,

हाँ अंतिम कौर हूँ मैं |

 

बहुत ही खुबसूरत ख्यालात अभिनव अरुण जी, अच्छी ग़ज़ल कही है आपने, दशहरी गंध वाला शेर भी बहुत प्यारा है, बधाई कुबूल करे |

 

और हां.....आपने कहा कि...

बहुत कुछ नेट प्रेक्टिस के रूप में भी लिखा - कहा जाता है .. मेरा तो ये कहना है कि हर बड़े शायर का भी हर एक शेर बाकमाल नहीं होता !! फिर यह कोई एक्सक्यूज नहीं बाज़ार में हूँ ...

 

इसका मतलब बहुत प्रयास के बाद भी नहीं निकाल सका :-)

Comment by आशीष यादव on August 3, 2011 at 7:37pm

kuchh bhi ho lekin ye ghazal waakai kamaal ki hai.

isme upasthit she'r swayam me purn hai.

दशहरी गंध तुम हो ,

तुम्हारी बौर हूँ मैं |

ye upma ki kya kahne.

wakai lajwaab hai.

bahut-bahut badhai.

Comment by Abhinav Arun on August 2, 2011 at 9:16am

बहुत कुछ नेट प्रेक्टिस के रूप में भी लिखा - कहा जाता है .. मेरा तो ये कहना है कि हर बड़े शायर का भी हर एक शेर बाकमाल नहीं होता !! फिर यह कोई एक्सक्यूज नहीं बाज़ार में हूँ ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service