For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल........उनको हवा नाम दूँ जाने मैं क्या करूँ .............

गज़ल........उनको हवा नाम दूँ जाने मैं क्या करूँ .............

   वो दूर हैं आज यूँ जाने मैं क्या करूँ

  वो मूक हैं आज क्यूँ जाने मैं क्या करूँ

 

  इक बात पे रंज हैं लब चुप से हैं जरा

  किसके सहारे लिखूं जाने मैं क्या करूँ

 

  अब पूँछते हैं नज़ारे आकर के भला

  उनको हवा नाम दूँ जाने मैं क्या करूँ 

 

  संगीत थी , मेरे गीतों की परवाज़ थी

  यूँ आज बेसाज़ हूँ जाने मैं क्या करूँ

 

  हम बैठ तन्हा कभीं यादों में खोजते

  अब रोज आवाज़ दूँ जाने मैं क्या करूँ

 

*************************************************

             अतेंद्र कुमार सिंह 'रवि'

*************************************************

 


Views: 788

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2012 at 8:49pm

भाई अतेन्द्र जी, आपकी ग़ज़ल के लिये हृदय से साधुवाद.

विशेष बधाई -

संगीत थी , मेरे गीतों की परवाज़ थी

यूँ आज बेसाज़ हूँ जाने मैं क्या करूँ

वाह ! बहुत सुन्दर !

काफ़िया पर ध्यान रखा है आपने !

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 26, 2012 at 6:29pm

sundar prastuti.

Comment by Rajendra Swarnkar on March 26, 2012 at 5:56pm

अतेन्द्र जी
अच्छी रचना है , अच्छा प्रयास … बधाई और आभार !

...और श्रेष्ठ सृजन के लिए शुभकामनाएं हैं !

Comment by Abhinav Arun on March 16, 2012 at 9:25pm

इक बात पे रंज हैं लब चुप से हैं जरा

  किसके सहारे लिखूं जाने मैं क्या करूँ

सुन्दर भावपूर्ण रचना श्री अतेन्द्र जी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको !!


Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 16, 2012 at 3:28pm

हम बैठ तन्हा कभीं यादों में खोजते

  अब रोज आवाज़ दूँ जाने मैं क्या करूँ

sundar prastuti.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
5 hours ago
Admin posted discussions
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
19 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service