राष्ट्र धर्म राष्ट्र चेतना
की सुधि किन्हें कब आती है
घर की देहरी पर चुपके से वो
जलते दीपक को आँचल उढ़ाती है
कुछ करते नमन शहीदों को
कुछ घर में ही रह जाते हैं
भूले भटके यदा कदा
वीरों के गीत सुनाते हैं
करते रक्षा देश की जो
देते अपनी कुर्बानी
बहाते लहू जिनके लिए
भूल अपनी जवानी
टूटे सपने बुनते अपने
घुट घुट कर मर जाते हैं
सूनी गोद उजड़ी मांग
रक्षा बंधन कैसे मनाते हैं
होली मनाते दीवाली मनाते
दुनिया का हर पर्व मनाते हो
मनाते जैसा प्रेम दिवस
शहीद दिवस मनाते हो ?
Comment
snehi rakesh ji baki linon ke bare main kya rai hai. balidaniyon evam unke balidan se laabh leno valon ke prati main baat kahne main safal hua ki nahi. kai log kahte hain ki aap kya kahna chahte hain samjhna kathin hota hai. kahin racna main adura pn to nahi rah jata hai . be hichak marg darshan karen, ye vidyalay hai aur ham sab ek hi class ke chatra. dhanyvad.
देश के अमर शहीदों के नाम की गई यह कृति अविस्मरणीय है आदरणीय प्रदीप जी! बधाई!
एक ज्वलंत प्रश्न के साथ कविता का अंत कविता को अनमोल बना जाता है ! एक विचारणीय विषय पर ह्रदय स्पर्शी रचना !
आदरणीय प्रदीपजी सादर अभिवादन ,,शहीदों के प्रति कोमल तथा द्रवित करने वाले भावों के मोती पिरोती हुई अति सुंदर काव्य प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई .................||जय भारत||
आदरणीय प्रदीप जी, सादर नमस्कार. कुछ एक लाइंस बहुत सुन्दर बन पड़ी है और भाव भी अच्छे निकल कर आये हैं, अंत बहुत ही अच्छा: "
मनाते जैसा प्रेम दिवस
शहीद दिवस मनाते हो ?
Snehi ki taraf se badhaiyaan, evam shubhkamnaayen.
AADARNIYA NIRJA JI. ABHAR . VANDE MATRAM.
AADARNIYA SAURABH JI, SADAR ABHIVADAN. SANIK KI MAAN APNE BETE KI PRATIKSHA MAIN DARVAJE PAR DIPAK JALATI HAI .. NAV VARSH MANGAL MAY HO. DHANYAVAD.
SIR JI SIDE KE BOX SE HINDI NAHI TYPE HO RAHA HAI. KHARABI AA GAYI HAI KYA.
एक सीधे सटीक प्रश्न से प्रस्तुत रचना का अंत रोमांचित कर देता है. बहुत कुछ कहती रचना के लिये सादर बधाई, आदरणीय प्रदीप जी.
aapne bhav samjha, abhar. mridu ji.
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