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आदरणीय प्रदीप सर ,
सादर प्रणाम ,
सत्य वचन सर ..जिंदगी तो इसकी का नाम है...स्नेह बनाये रखे ..साभार
आदरणीय सौरभ सर ,
सादर नमस्कार
सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद
गंदे नाले हों
या शीतल धारा
जो भी मिला
अपना बना डाला
जिंदगी
कभी नदी सी
कभी टुकड़ो सी
जैसे भी पाया
बस जी डाला
jina isi ka naam hai, snehi mahima ji, saadar. badhai.
भाव व काल विशेष उद्गार के लिये बधाई.
नदी सी मैं
बहती रही
कभी मचलती रही
कभी उफनती रही
तोड़ किनारा
जब भी बहना चाहा
बांधो( बन्धनों) से और भी
जकड़ा पाया
महिमा जी खूबसूरत भाव ..काश ये बंधन टूटें ...मुक्त हो मन ..प्यारा मौसम प्यारी गलियाँ ...
नदी सी मैं
बहती रही कभी मचलती रही
कभी उफनती रही तोड़ किनारा
जब भी बहना चाहा
बांधो( बन्धनों) से और भी
जकड़ा पाया
बहुत अच्छा महिमा जी ............ बधाई हो
priy mahima ji, namaskar,
ye to aap ne "sarita " ki kahani suna dali...bahut khub....mujhe to baha le gayi.......
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