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उत्साहवर्धन हेतु आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी |
आदरणीय सतीश मापतपुरी जी आप जैसे कहानीकार से तारीफ़ पाना किसी पुरस्कार से कम नहीं है , सराहना हेतु आभार आपका |
कवच प्रभावी लघु कथा है, यदि लाज बचने हेतु
झूठ का कवच भी ओढ़ना पड़े, तो कोई बुरे नहीं |
एक जवान बेवा अपनी इज्जत खूंखार भेडियों से अभी तक इसी अफवाह के सहारे ही बचाती रही है, भगवान् के लिए मेरा यह कवच मुझ से मत छीनिए "
वाह... वाह ... गणेश जी , कितनी चुभती हुई बात कह गए ........ यह व्यंग सीधे सीधे दिल में नश्तर की तरह उतर गया .............. बहुत ...बहुत,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, बधाई
आदरणीया राजेश कुमारी जी , कथा के आत्मा तक पहुच कर टिप्पणी हेतु आभार |
आदरणीय जवाहर जी, सराहना हेतु आभार आपका |
टिप्पणी हेतु आभार आदरणीया अनामिका घटक जी |
बागी जी यह लघु कथा हमारे समाज के गाल पर एक तमाचा है जहां अपनी इज्जत बचाने के लिए नारी को एसे दर्दनाक कवच को भी स्वीकारना मंजूर है
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