बात कुछ ज्यादा पुरानी नहीं है . आंदोलित कर्मचारी संगठनों द्वारा अपनी मांगों को शासन तक ज्ञापन के माध्यम से पहुँचाने हेतु निर्णय लिया गया कि सर्व प्रथम सभी कर्मचारी अपने - अपने कार्यालय में एकत्रित होंगे. फिर कार्यक्रम स्थल पर अपने -अपने बैनर के साथ जलूस के रूप में पहुचेंगे जहाँ पर मानव श्रखला बनाकर प्रदर्शन किया जायेगा. सवेरे से ही विभिन्न कार्यालयों के कर्मचारी अपने-अपने कार्यालय से एक जलूस के रूप में अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाते हुए पहुँचने लगे और मानव श्रंखला बनाकर खड़े हो गए. परिणाम स्वरूप शहर का मुख्य मार्ग अवरुद्ध हो गया. मैं भी इसी भीड़ का एक हिस्सा था कभी इधर कभी उधर व्यवस्था देख रहा था. अचानक किसी के जोर जोर से बोलने की आवाज ने मेरा ध्यान आक्रष्ट किया. देखा कि एक स्कूटर सवार श्रंखला तोड़ कर सीधे मार्ग पर जाने हेतु निवेदन कर रहा है कि उसे निकल जाने दिया जाये, उसके पिता को हार्ट अटैक हुआ है घूम कर वापस जाने में देर हो जाएगी. परन्तु किसी ने भी उसकी प्रार्थना नहीं सुनी , उसे वापस लौटना पड़ा. वापसी में जब मेरे समीप से गुजरा तो मैंने देखा कि वह मनमोहन मेरे साथ छठी कक्षा का सहपाठी था वर्तमान में आर.बी .आई. में कार्यरत था.
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adarniya vandana ji, sadar abhivadan.
meri kahani '' main use janam doongi'' lambi kahani kahi gayi.
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