सूरज की गरमी को देखो, पड़ती सब पे भारी
सूखे ताल तलैया भाई, पिघली सड़कें सारी
सूख चली देखो हरियाली, सहमा उपवन सारा.
पंथिन को तो छांह नहीं अब, क्योंकर चलता आरा
पशु पक्षी सब प्यास के मारे, हुए हाल बेहाल
जल संसाधन मंत्री ए.सी., बैठे फेंके जाल
उनकी बात भी छोड़ो भैया, ऐसा कुछ करवा दो
आँगन अन्दर बाहर तालन, मां पानी भरवा दो
वृहद पौध रोपण की भाई, कर लो अब तैयारी
देंगे सब आशीष तुम्हें जो, दुनिया तुम पे वारी
जैसे बचाते अपना जीवन वैसे बचा अब बारी
जल संरक्षण किया नहीं तो, जल पे मारामारी ||
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वृहद पौध रोपण की भाई, कर लो अब तैयारी
देंगे सब आशीष तुम्हें जो, दुनिया तुम पे वारी
जैसे बचाते अपना जीवन वैसे बचा अब बारी
जल संरक्षण किया नहीं तो, जल पे मारामारी ||
आदरणीय कुशवाहा जी सुन्दर सन्देश देती रचना ..काश मंत्री जी भी बाहर झांके और सूर्य भगवान उनको जोर से ताकें
bhramr jee kee pratikriya se sahmat! badhai sweekaren!
आपने मुझे गर्मी का पूरा दृश्य बखूबी दिखा दिया ...शुक्रिया !! कुशवाहा जी
वृहद पौध रोपण की भाई, कर लो अब तैयारी
देंगे सब आशीष तुम्हें जो, दुनिया तुम पे वारी
जैसे बचाते अपना जीवन वैसे बचा अब बारी
जल संरक्षण किया नहीं तो, जल पे मारामारी ||
आदरणीय कुशवाहा जी सुन्दर सन्देश देती रचना ..काश मंत्री जी भी बाहर झांके और सूर्य भगवान उनको जोर से ताकें --भ्रमर ५
बहुत अच्छी रचना प्रदीप जी !!!
पंथिन को तो छांह नहीं अब, क्योंकर चलता आरा
वृक्षों की अंधाधुंध कटाई सारा पर्यावरण संतुलन नष्ट कर रही है.आपकी सकारात्मक सोच और सुन्दर रचना के लिए बधाई आदरणीय प्रदीप जी.थिन को तो छांह नहीं अब, क्योंकर चलता आरा
वृहद पौध रोपण की भाई, कर लो अब तैयारी
देंगे सब आशीष तुम्हें जो, दुनिया तुम पे वारी
वाह वाह सन्देश देता गीत ./ इसे पढना भर भी सुखद लगता है .इस भीषण गर्मी में .बहुत बहुत बधाई श्री प्रदीप जी !
आपकी रचना में आव्ह्वान ही नहीं शिक्षाप्रद और पर्यावरण की रक्षा सन्देश है | बधाई |
स्नेही महिमा जी, सादर
अगर जगह न हो तो टरेस पर एक मिटटी के बर्तन में रोज ठंडा पानी रखिये.
रचना की सराहना हेतु धन्यवाद
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