मिल्कशेक और आम का पन्ना
नाच-नाच कर पीता मुन्ना
दिन आये गर्मी के रंगीन
पर हम शरबत के शौकीन l
एक दो तीन
हुई परीक्षा खतम कभी की
घर में छाई रहती मस्ती
उछल कूद कर मुन्नी हँसती
मम्मी सब पर रहे बरसती
हर दिन होता दंगे का सीन l
पर हम शरबत के शौकीन l
तीन चार पाँच
कुल्फी, शरबत और ठंडाई
ठंडी रबड़ी और मलाई
सबने घर में डट कर खाई
भूल-भाल गये सभी पढ़ाई
ना लगता कोई ग़मगीन l
पर हम शरबत के शौकीन l
छे सात आठ
आँगन था काफी गरमाया
क्यारी में बेला कुम्हलाया
पानी से छिड़काव लगाया
सबने डेरा वहाँ जमाया
आई चाय और नमकीन l
पर हम शरबत के शौकीन l
मिल्कशेक और आम का पन्ना
नाच-नाच कर पीता मुन्ना
दिन आये गर्मी के रंगीन
पर हम शरबत के शौकीन l
-शन्नो अग्रवाल
Comment
वाह वाह, गर्मी को रंगीन बनाने के लिए आभार, एक दो तीन को मैं पहले यह सोचा कि तुक मिलाने के लिए कुशन दिया गया है पर फिर तीन चार पाँच ......आदि का तुक नहीं समझ सका, इस बाल गीत को बाल स्वरुप में प्रस्तुत करने हेतु बधाई शन्नो दी |
वाह वाह .. धारा में प्रवाह वो कि गर्मी को बहा ले जाये. चुन-चुन कर वो हर कुछ खिलाया, पिलाया जो गर्मी खाते-पीते हैं. लेकिन मेरे खीरे, ककड़ी (बतिया), तरबूज और खरबूजे को अपनी सूची में शामिल न कर आपने उन्हें बहुत कष्ट दिया है. या फिर बेल ही लें, जिसको खाते भी हैं और घोल कर पीते भी हैं.
शन्नोजी, आपको इस बाल-गीत पर अतिशय बधाइयाँ. यों, इसे थोड़ा कस देतीं तो रचना और प्रवहमान हो जाती. दूसरे, इस रचना को बाल-साहित्य समूह में रखना था.
जवाहर लाल जी, राजेश कुमारी जी एवं प्रदीप जी, आप सबको रचना पसंद आई इसके लिये साभार धन्यबाद. आपकी इन टिप्पणियों से मुझे भी बहुत राहत मिली.
आदरणीय agrvaal ji , सादर
गर्मी में आपकी कविता ही ठंडाई का कम कर रही है बहुत सुन्दर ...बधाई शन्नो जी
बहुत सुन्दर! गर्मी से सबलोग परेशान हैं आप की कविता राहत जरूर देगी!
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