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वो सिर्फ बदनाम है

बेवफाई तेरी का ये अंजाम है
गूंजता महफ़िलों में मेरा नाम है |

क्या मिला पूछते हो, सुनो तुम जरा
इश्क का अश्क औ' दर्द इनाम है |

आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे
आ गया अब मेरे हाथों में जाम है |

दौर है नफरतों का , चैन खो रहा
लाजमी प्यार का आज पैगाम है |

बात कहना मेरा काम था , कर दिया 
अब नियम ढूंढना आपका काम है |

मान जाओ इसे है हकीकत यही 
बद नहीं विर्क वो सिर्फ बदनाम है |

-------------- दिलबाग विर्क 

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Comment

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Comment by राज लाली बटाला on June 5, 2012 at 2:30am

आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे

आ गया अब मेरे हाथों में जाम है | बहुत अछे दिलबाग जी !!
Comment by UMASHANKER MISHRA on May 30, 2012 at 10:57pm
इश्क का अश्क औ' दर्द इनाम है |
बहुत सुन्दर अहसास देती ये रचना

Comment by dilbag virk on May 26, 2012 at 9:21pm

सभी सुधीजनों का हौंसला अफजाई के लिए आभार

Comment by Abhinav Arun on May 26, 2012 at 3:02pm
आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे
आ गया अब मेरे हाथों में जाम है |
वाह वाह श्री दिलबाग जी हर शेर जानदार बाकमाल है हार्दिक बधाई आपको !!
Comment by आशीष यादव on May 26, 2012 at 9:52am

वाह सर, कमाल की रचना रची है आपने। 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 25, 2012 at 11:51pm

क्या मिला पूछते हो, सुनो तुम जरा

इश्क का अश्क औ' दर्द इनाम है |
मान जाओ इसे है हकीकत यही 
बद नहीं विर्क वो सिर्फ बदनाम है |
सुन्दर गजल विर्क भाई जी ...ऐसा ही रंग चढ़ता है ....भ्रमर ५ 

Comment by Rekha Joshi on May 25, 2012 at 7:09pm

आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे

आ गया अब मेरे हाथों में जाम है | bahut badhiya ,badhai 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 25, 2012 at 1:08pm

बात कहना मेरा काम था , कर दिया 

अब नियम ढूंढना आपका काम है |:)))
bahut khoob
Comment by Yogi Saraswat on May 25, 2012 at 11:43am
आज बेपर्दा होंगे कई चेहरे
आ गया अब मेरे हाथों में जाम है |
बहुत खूब , विर्क साब ! बढ़िया ग़ज़ल
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 25, 2012 at 11:17am

आदरणीय विर्क जी, सादर 

बेवफाई तेरी का ये अंजाम है  की जगह  तेरी बेवफाई  का ये अंजाम है कैसा रहेगा.  कृपया अन्यथा न लें 

मान जाओ इसे है हकीकत यही 
बद नहीं विर्क वो सिर्फ बदनाम है |  बहुत खूब बधाई 

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