For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाँ वो मेरी बेटी है

हाँ  वो  मेरी   बेटी  है  

जो  बगल  में  लेटी है  

मेरा  प्यार  है  वो  

जीवन  की  बहार  है  वो 

हमारे प्यार की   निशानी 

एक अनकही   कहानी   

खिलखिलाहट   उसकी  

दीवाना  करती  है  

जाएगी  दूजे  घर  

एक  डर  भरती   है  

खिली  इस  बगिया   में 

वो  उपवन  कैसा  होगा  

कली  मासूम  सी 

काँटों  मैं  घिरी  होगी

दूँगी  वो  शिक्षा 

होगी रात तो  

कभी सहर होगी  

दुआ  बाबुल  की  है 

सुखी संसार  होगा 

पति का घर उसका 

सुन्दर उपहार होगा 

इस कुल  उस कुल 

अटूट बंधन होगा 

प्रेम प्रतिष्ठा से 

मान बढ़ाएगी 

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

हाँ  वो  मेरी बेटी  है  

 

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on May 26, 2012 at 9:48am

एक सुन्दर रचना। बेटी ही दो घरों को जोड़ती है।
अच्छी रचना पर बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by Sarita Sinha on May 26, 2012 at 9:00am

आदरणीय कुशवाहा जी, नमस्कार,

बहुत प्यारी, मार्मिक कविता है...बेटी के लिए भावुक सोच को नमन....
Comment by arunendra mishra on May 26, 2012 at 12:17am

अंत्यंत सराहनीय प्रस्तुति ...!!!!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 25, 2012 at 11:42pm

दुआ  बाबुल  की  है 

सुखी संसार  होगा 

पति का घर उसका 

सुन्दर उपहार होगा 

इस कुल  उस कुल 

अटूट बंधन होगा 

प्रेम प्रतिष्ठा से 

मान बढ़ाएगी 

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

हाँ  वो  मेरी बेटी  है  

आदरणीय  प्रदीप जी बहुत सुन्दर ..काश माँ पिता और इस समाज के मुंह से ये उदगार निकलें 

उनको हमारी उम्र लग जाए  ....भ्रमर ५ 
Comment by AVINASH S BAGDE on May 25, 2012 at 8:39pm

इस कुल  उस कुल 

अटूट बंधन होगा 

प्रेम प्रतिष्ठा से 

मान बढ़ाएगी 

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

हाँ  वो  मेरी बेटी  है  BAHUT HI HRIDAY-SPARSHI HAI Pradeep bhai...wah!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 25, 2012 at 1:13pm

आपकी रचना दिल में घर कर गई बहुत   प्यारी प्रस्तुति बधाई

Comment by Yogi Saraswat on May 25, 2012 at 11:45am

दुआ  बाबुल  की  है 

सुखी संसार  होगा 

पति का घर उसका 

सुन्दर उपहार होगा 

इस कुल  उस कुल 

अटूट बंधन होगा 

प्रेम प्रतिष्ठा से 

मान बढ़ाएगी 

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

हाँ  वो  मेरी बेटी  है  

बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय श्री प्रदीप कुशवाहा जी ! बेटी बड़ी अनमोल होती हैं ! बहुत सुन्दर रचना !

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 24, 2012 at 11:43pm

प्रदीप जी बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । बाबुल का प्यार ही तो है जो बेटी के साथ हमेशा रहता है। बहुत बहुत बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service