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जीवन और मृत्यु
आत्मा परमात्मा
सत्य और असत्य
शाश्वत मूल्यों का सत्य
धूप और छाँव
साथ नहीं होती
गमछा संग धोती
बिना सीप मोती
बगैर दीप ज्योति
स्त्री स्त्री देख रोती
पोता हो या पोती
कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
किसी घर में बेटी न होती

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 12, 2012 at 3:32pm

स्नेही महिमा जी, शुभाशीष 

आप तो मेरी बेटी हैं. धन्यवाद 

Comment by MAHIMA SHREE on June 3, 2012 at 10:50pm

जीवन और मृत्यु
आत्मा परमात्मा
सत्य और असत्य
शाश्वत मूल्यों का सत्य
धूप और छाँव
साथ नहीं होती
गमछा संग धोती
बिना सीप मोती
बगैर दीप ज्योति
स्त्री स्त्री देख रोती
पोता हो या पोती
कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
किसी घर में बेटी न होती

वाह !!!!!! आदरणीय प्रदीप सर .. आपने छोटी सी रचना में कितनी खूबसूरती से सारगर्भित बात कह दी ..

बहुत -२ बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 3, 2012 at 4:25pm
स्रष्टि की रचना ही न होती, अगर किसी के घर बेटी न होती 
घर आँगन की महक न होती, अगर किसी के घर बेटी न होती 
सुन्दर रचना के लिए बधाई,पी के सिंह कुशवाहा जी 
 |-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2012 at 7:06am

आदरणीय प्रदीप जी
                सादर,
                            कैसे मिलता जीवन का
                अनुपम सुन्दर उपहार
                किसी घर में बेटी न होती
सुन्दर रचना, कैसे फिर आप नाना होते,  आपके घर गर बेटी ना होती. बधाई.

Comment by Rekha Joshi on June 2, 2012 at 9:08pm

प्रदीप जी ,आपकी हर रचना अद्भुत होती है 

पोता हो या पोती 
कैसे मिलता जीवन का 
अनुपम सुन्दर उपहार 
किसी घर में बेटी न होती,बधाई |
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 6:45pm

बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना के लिए बधाई आपको सर जी

कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
किसी घर में बेटी न होती


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 2, 2012 at 5:56pm

कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
गर किसी घर में
जो बेटी न होती

बहुत खूब आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, अच्छी रचना, सुंदर अभिव्यक्ति, बधाई हो |

Comment by pandurang m deshmukh on June 2, 2012 at 2:10pm

सुन्दर रचना प्रदीप जी ...बधाई स्वीकार करे


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 2, 2012 at 8:48am

प्रदीप कुमार कुशवाह जी बहुत बहुत प्यारे भाव से युक्त शब्द कहे बेटी के लिए वास्तव में आज के दौर में लोगों  के विचारो में बदलाव की जरूरत है 

Comment by arunendra mishra on June 2, 2012 at 12:52am

पोता हो या पोती 
कैसे मिलता जीवन का 
अनुपम सुन्दर उपहार 
किसी घर में बेटी न होती

सुन्दर रचना प्रदीप जी ...बधाई स्वीकार करे 

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