जीवन और मृत्यु
आत्मा परमात्मा
सत्य और असत्य
शाश्वत मूल्यों का सत्य
धूप और छाँव
साथ नहीं होती
गमछा संग धोती
बिना सीप मोती
बगैर दीप ज्योति
स्त्री स्त्री देख रोती
पोता हो या पोती
कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
किसी घर में बेटी न होती
Comment
स्नेही महिमा जी, शुभाशीष
आप तो मेरी बेटी हैं. धन्यवाद
जीवन और मृत्यु
आत्मा परमात्मा
सत्य और असत्य
शाश्वत मूल्यों का सत्य
धूप और छाँव
साथ नहीं होती
गमछा संग धोती
बिना सीप मोती
बगैर दीप ज्योति
स्त्री स्त्री देख रोती
पोता हो या पोती
कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
किसी घर में बेटी न होती
वाह !!!!!! आदरणीय प्रदीप सर .. आपने छोटी सी रचना में कितनी खूबसूरती से सारगर्भित बात कह दी ..
बहुत -२ बधाई आपको
आदरणीय प्रदीप जी
सादर,
कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
किसी घर में बेटी न होती
सुन्दर रचना, कैसे फिर आप नाना होते, आपके घर गर बेटी ना होती. बधाई.
प्रदीप जी ,आपकी हर रचना अद्भुत होती है
बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना के लिए बधाई आपको सर जी
कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
किसी घर में बेटी न होती
कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
गर किसी घर में
जो बेटी न होती
बहुत खूब आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, अच्छी रचना, सुंदर अभिव्यक्ति, बधाई हो |
सुन्दर रचना प्रदीप जी ...बधाई स्वीकार करे
प्रदीप कुमार कुशवाह जी बहुत बहुत प्यारे भाव से युक्त शब्द कहे बेटी के लिए वास्तव में आज के दौर में लोगों के विचारो में बदलाव की जरूरत है
पोता हो या पोती
कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
किसी घर में बेटी न होती
सुन्दर रचना प्रदीप जी ...बधाई स्वीकार करे
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