नियति तू कब तक खेल रचाएगी
क्या हम सचमुच हैं
तेरे ही कठपुतले
तू जैसा चाहेगी
वैसा ही पाठ सिखाएगी
नियति तू कब तक खेल रचाएगी
कभी कुछ खोया था
कंही कुछ छुट गया था
कभी छन् से कुछ टूट गया था
भीतर जख्मो के कई गुच्छे हैं
गुच्छो के कई सिरे भी हैं
पर उनके जड़ो का क्या
तेरा ही दिया खाद्य औ पानी था
नियति तू कब तक खेल रचाएगी
कंही कुछ मर रहा है
कंही कुछ पल रहा है
दावानल सा हर कहीं जल रहा है
क्या तुझे नहीं दिखाई दिया है
नियति तू कब तक हाहाकार मचाएगी
बंद करो मानवता के साथ
अपना क्रूर हास परिहास
नियति तू एक दिन पक्षताएगी
इंसां जब हिम्मत से जोर लगाएगी
उसी पल तू हार जाएगी
खुद से क्या फिर तू आँख मिला पायेगी
शर्म से क्या नहीं तू उस दिन मर जायेगी
नियति तू कब तक खेल रचाएगी
Comment
नियति के साथ इतना ओजस्वी संवाद कर के आपने लाखों लाख लोगों के मौन को स्वर दिया है . इस महती कार्य के लिए आपका और आपकी लेखनी का अभिनन्दन !
शानदार कविता .........जय हो
Mahima ji ,bahut badhiya likha hae aapne
क्या हम सचमुच हैं
तेरे ही कठपुतले
तू जैसा चाहेगी
वैसा ही पाठ सिखाएगी,badhai
स्नेही महिमा जी, सस्नेह
नियति कि दी चुनौती वाह गजब के भाव. बधाई
नियति तू एक दिन पक्षताएगी
इंसां जब हिम्मत से जोर लगाएगी
उसी पल तू हार जाएगी
खुद से क्या फिर तू आँख मिला पायेगी
शर्म से क्या नहीं तू उस दिन मर जायेगी
नियति तू कब तक खेल रचाएगी
नियति को हम हमेशा ही कठोर रूप में प्रस्तुत करते हैं ! नियति से ही तो हम हैं , नियति ही है जो हम आज हैं ! बहुत बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय महिमा जी !
दावानल सा हर कहीं जल रहा है
क्या तुझे नहीं दिखाई दिया है
नियति तू कब तक हाहाकार मचाएगी
niyati ke oopar saare iljaam madh diye aapne aur ye bhi bata diyaa ki insaani taakat jab apna jor lagayegi tab too haath malti rah jaayegi wah waah ..................umda rachna aapki
हौंसले बढ़ाती हुई रचना जिसके दिल में इतना होंसला हो उसका नियति भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी झुक जायेगी उसके दम के सामने ...बहुत उम्दा भाव ..हाँ एक दो जगह टंकण त्रुटी आ गई हैं शायद पेस्ट करते हुए ठीक कर लें
आदरणीय उमाशंकर जी .. रचना को पसंद करने और हौसला अफजाई के लिए आभारी हूँ . सधन्यवाद
बहुत बढ़िया रचना आपके हौसले को सलाम
आपने नियति से लड़ने हिम्मत दिखाई
खुद से क्या फिर तू आँख मिला पायेगी
शर्म से क्या नहीं तू उस दिन मर जायेगी
नियति तू कब तक खेल रचाएगी
आदरणीय लक्ष्मण सर जी .सादर नमस्कार
आपके उत्साहवर्धन के लिए आभारी हूँ आपके विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए . सधन्यवाद, स्नेह बनाये रखे.
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