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प्यार से मुझको, अनमोल नगीना दे दो,
जिंदगी को बस , इक और महीना दे दो,

हम जितना उनको देख मुस्कुराते चले गए,
वो उतना ही दिल कसम से दुखाते चले गए,

हुस्न की फिर से, कुछ अदाएं ढूंढ़ लाया हूँ,
आज अपनी खातिर, सजाएं ढूंढ़ लाया हूँ.....

दे धोखा फिरसे, तू फिर दिल्लगी कर ले,
अपनी वश में, तू मेरी हर ख़ुशी कर ले.....

मुझको नशा हुआ जैसे शराब का,
जो गम पढ़ लिया तेरी किताब का......

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Comment by अरुन 'अनन्त' on July 29, 2012 at 4:07pm

तहे दिल से शुक्रिया आभार आदरेया राजेश कुमारी जी....


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Comment by rajesh kumari on July 29, 2012 at 4:03pm

हुस्न की फिर से, कुछ अदाएं ढूंढ़ लाया हूँ,
आज अपनी खातिर, सजाएं ढूंढ़ लाया हूँ.....वाह बहुत खूब सभी शेर बढ़िया हैं 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 28, 2012 at 10:59am

आदरणीया रेखा माँ स्नेह के लिए तहे दिल से शुक्रिया....

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 28, 2012 at 10:58am

अलबेला जी सराहना के लिए आभार.

Comment by Rekha Joshi on July 27, 2012 at 10:47pm

हम जितना उनको देख मुस्कुराते चले गए,
वो उतना ही दिल कसम से दुखाते चले गए,अति सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई 

Comment by Albela Khatri on July 27, 2012 at 10:30pm

waah bhaai waah !


हुस्न की फिर से, कुछ अदाएं ढूंढ़ लाया हूँ,
आज अपनी खातिर, सजाएं ढूंढ़ लाया हूँ....

arun ji aanand aa gaya

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 27, 2012 at 5:11pm

बहुत-बहुत शुक्रिया वसुधा जी, प्रसंसा के लिए आभार....

Comment by Vasudha Nigam on July 27, 2012 at 5:04pm

हम जितना उनको देख मुस्कुराते चले गए,
वो उतना ही दिल कसम से दुखाते चले गए,

बहुत ही सुन्दर एवं सत्य कथन, बधाई 

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 27, 2012 at 4:38pm

शुक्रिया अविनाश जी.....

Comment by AVINASH S BAGDE on July 27, 2012 at 4:34pm

दे धोखा फिरसे, तू फिर दिल्लगी कर ले,
अपनी वश में, तू मेरी हर ख़ुशी कर ले...nice.

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