For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू एक ऐसा ख़्वाब है
जिस्म में ढलता ही नहीं
मेरा ही हमसाया
जो मेरे साथ चलता ही नहीं !
किस मोम से बना
मेरे ताप से पिघलता ही नहीं
कितना बे असर हो गया
ये दिल जो संभलता ही नहीं !
नम हो गया अंश वक़्त का
हाथ से फिसलता ही नहीं
जम गए नासूर वफ़ा के
अब मरहम फलता ही नहीं
************************

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on September 30, 2012 at 8:04pm

नम हो गया अंश वक़्त का हाथ से फिसलता ही नहीं जम गए नासूर वफ़ा के अब मरहम फलता ही नहीं

बहुत ही उम्दा सोंच की रचना 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 28, 2012 at 9:17am

बहुत बहुत शुक्रिया नीरज जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 27, 2012 at 10:41am

हार्दिक आभार संजय राजेन्द्र प्रसाद यादव जी 

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on September 27, 2012 at 10:34am

"तू एक ऐसा ख़्वाब है
जिस्म में ढलता ही नहीं
मेरा ही हमसाया
जो मेरे साथ चलता ही नहीं !
किस मोम से बना
मेरे ताप से पिघलता ही नहीं
कितना बे असर हो गया
ये दिल जो संभलता ही नहीं !
नम हो गया अंश वक़्त का
हाथ से फिसलता ही नहीं
जम गए नासूर वफ़ा के
अब मरहम फलता ही नहीं"

"आपको बहुत-बहुत बधाई राजेश कुमारी जी"
बे-वक्त,बे-दर्द,बे-वफ़ा,............!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 26, 2012 at 9:04pm

प्रिय सीमा जी हार्दिक ख़ुशी हुई ये नज्म आपके दिल तक पहुंची आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 26, 2012 at 9:02pm

प्रिय प्राची जी आपको नज्म पसंद आई मेरी लेखनी सफल हुई हार्दिक आभार 

Comment by seema agrawal on September 26, 2012 at 6:55pm

बहुत खूबसूरत नज़्म 

नम हो गया अंश वक़्त का
हाथ से फिसलता ही नहीं .......वाह बहुत सूक्ष्म अवलोकन ...

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश जी..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2012 at 6:01pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , दिल को छूती सी अभिव्यक्ति..

तू ऐसा ख्वाब है 
जिस्म में ढलता ही नहीं 
मेरा ही हमसाया 
जो मेरे साथ चलता ही नहीं..
दर्द और भाव पाठक के साथ एक रिश्ता सा बनाते महसूस होते हैं... हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति पर.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 26, 2012 at 1:31pm

 बहुत बहुत  धन्यवाद लक्ष्मण जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 26, 2012 at 1:06pm
सुन्दर भावाभिव्यक्ति आदरणीया राजेश कुमारी जी, सच है नासूर बनने से पूर्व ही मरहम 
लगाना होगा, वर्ना तो -  नम हो गया अंश वक़्त का,हाथ से फिसलता ही नहीं
                              जम गए नासूर वफ़ा के,अब मरहम फलता ही नहीं 
बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
5 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service