For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रौशनी तो उतनी ही देती है
कि सारा जहाँ जगमगा दे
निरंतर जल हर चेहरे पर
खुशियों की नदियाँ बहा दे
फिर भी नकारी जाती है क्यों??
वो अधजली लौ

मूक बन हर विपत्ति सह
पराश्रयी बन जलती जाती
परिंदों को आकर्षित कर
जलाने का पाप भी सह जाती
फिर भी दुत्कारी जाती है क्यों??
वो अधजली लौ

जीवन पथ पर तिल तिल जलती
आघृणि नहीं बन कर शशि
हर घर को तेज से अपने
रौशन करते हुए है चलती
फिर भी धिक्कारी जाती है क्यों??
वो अधजली लौ

अपना अस्तित्व कब खोज पायेगी
दूसरों के लिये नहीं अपने लिये
ये भी मुस्कुराकर जी जायेगी
बनावटी नहीं खालिस बन
कब पहचानी जायेगी??
वो अधजली लौ

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by deepti sharma on October 15, 2012 at 5:20pm

आदरणीय लक्ष्मण जी ...आदरणीया राजेश कुमारी जी .. आदरणीय राजेश जी .. बहुत बहुत आभार आप सभी का ..

Comment by राजेश 'मृदु' on October 5, 2012 at 3:40pm

बहुत सुंदर लिखा है आपने, इस अधजली लौ के गूढ़ार्थ अनेक हैं । साधुवाद उत्‍तम रचना के लिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 5, 2012 at 12:43pm

मूक बन हर विपत्ति सह
पराश्रयी बन जलती जाती
परिंदों को आकर्षित कर
जलाने का पाप भी सह जाती
फिर भी दुत्कारी जाती है क्यों??
वो अधजली लौ-----बढ़िया बिम्ब बहुत अच्छी  प्रस्तुति 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2012 at 10:52am

फिर भी वो नक्कारी जाती, दुत्कारी जाती, धिक्कारी जाती अधजली लौ सुन्दर अभिव्यक्ति 

बधाई दीप्ति शर्मा जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है। अमित जी विस्तार से सब कह चुके हैं। गौर कीजियेगा। सादर"
35 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. ऋचा जी, हज़ार के साथ ख्वाहिशें आना चाहिए। ख्वाहिशें पालता है हज़ार आदमी इसलिए रहता है बे- क़रार…"
37 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"धन्यवाद आ. ऋचा जी"
43 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से हर बार मार्ग दर्शन मिजता है और सीखने को मिलता है। आपको तहे दिल से…"
44 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"धन्यवाद आ. दयाराम जी"
44 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"बहुत बहुत आभार आ. चेतन जी"
44 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय समर कबीर जी, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ने को मिली। अच्छा लगा। बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक…"
50 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय निलेश नूर जी, बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। हर तरफ हैं बहुत…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अमित जी नमस्कार  बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझाने बताने और सुझाव के…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार  बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये  आप सभी गुणीजनों की…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार  बहुत अच्छी हुई ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजिए , आप सभी  गुणीजनों की…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service