चारागर की ख़ता नहीं कोई.
दर्दे-दिल की दवा नहीं कोई.
आप आये न मौसमे-गुल में,
इससे बढ़कर सज़ा नहीं कोई.
ग़म से भरपूर है किताबे-दिल,
ऐश का हाशिया नहीं कोई.
देख दुनिया को अच्छी नज़रों से,
सब भले हैं बुरा नहीं कोई.
सच का हामी है कौन पूछा तो,
वक़्त ने कह दिया नहीं कोई.
है सफ़र दश्ते-नाउम्मीदी का,
मौतेबर रहनुमा नहीं कोई.
अपने ही घर में हैं पराये हम,
बेग़रज़ राबता नहीं कोई.
इस तअ्फ्फ़ुनज़दा जहाँ में आज,
रूह अफ़ज़ा हवा नहीं कोई.
क्यों झुके सर ‘लतीफ़’ के आगे,
आदमी है ख़ुदा नहीं कोई.
©अब्दुल लतीफ़ ख़ान (दल्ली राजहरा).
Comment
khubsurat ghazal ................
शानदार ग़ज़ल आदरणीय श्री अब्दुल जी - ये शेर ख़ास है -
अपने ही घर में हैं पराये हम,
बेग़रज़ राबता नहीं कोई.
वैसे हर शेर बाकमाल कहा है आपने बधाई !!
किस एक शेर की कहूँ ? पूरी ग़ज़ल बहुत ही ऊँचे मेयार की है, लतीफ़ भाई. दिल से दाद कुबूल फ़रमायें.
सच का हामी है कौन पूछा तो,
वक़्त ने कह दिया नहीं कोई.
वाह-वाह !
चारागर की ख़ता नहीं कोई.
दर्दे-दिल की दवा नहीं कोई. wah mat ala very good
आप आये न मौसमे-गुल में,
इससे बढ़कर सज़ा नहीं कोई. very good
ग़म से भरपूर है किताबे-दिल,
ऐश का हाशिया नहीं कोई. wah wah wah sher
देख दुनिया को अच्छी नज़रों से,
सब भले हैं बुरा नहीं कोई. bahut khoob kya baat hai really really good
सच का हामी है कौन पूछा तो,
वक़्त ने कह दिया नहीं कोई. satirical ,,,,truly said
है सफ़र दश्ते-नाउम्मीदी का,
मौतेबर रहनुमा नहीं कोई. bahut kuch kah diya hai ---idealogy of today's leadership
अपने ही घर में हैं पराये हम,
बेग़रज़ राबता नहीं कोई. bahut khoob sher hai zanab
इस तअ्फ्फ़ुनज़दा जहाँ में आज,
रूह अफ़ज़ा हवा नहीं कोई. kafas me hai ye insaan ander to zyada hi pollution hai
क्यों झुके सर ‘लतीफ़’ के आगे,
आदमी है ख़ुदा नहीं कोई. kya baat hai khush kar diya dil
wah bhai i bhut khoob hai............
इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए ढेरों ढेर दाद पेश कर रहा हूँ अब्दुल लतीफ़ खान साहिब, कबूल फरमाएं.
वाह लतीफ़ साहिब वाह
वाह वाह वा
बस हुजूर
वाह और वाह
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