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चौंच में लेकर तिनका ( कुण्डलिया )

लेकर तिनका चौंच में ,चिड़िया तू कित जाय
नीड महल का छोड़ के , घर किस देश बसाय
घर किस देश बसाय ,सभी सुख साधन छोड़े
ऊँची चढ़ती बेल , धरा पे वापस मोड़े
देख बिगड़ते बाल, माथ मेरा है ठनका
जाती अपने गाँव , चौंच में लेकर तिनका
***************************************
(अपने एक ख़याल के ऊपर बनाई यह कुंडली )
चोँच में तिनका ले जाती हुई चिड़िया से पूछा अब क्यों घर बदल रही हो तुम तो उस महल के रोशनदान में कितनी शानो शौकत से रहती हो तो वो बोली वहां मेरे बच्चे बिगड़ रहे हैं अपनी औकात भूल रहे हैं!!

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 17, 2012 at 9:58pm

हार्दिक आभार  रविकर भाई |

Comment by रविकर on November 17, 2012 at 9:26pm

बहुत खूब दीदी-
मस्त भाव प्रवाह -
आभार आदरेया ||


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 17, 2012 at 8:18pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी आपको कुंडलिया पसंद आई हार्दिक आभार आपका 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 17, 2012 at 6:41pm

चिड़िया जैसी पक्षी को लेकर आज की संतानों के प्रति माँ को सन्देश देती सुन्दर कुंडलियों के लिए                          हार्दिक बधाई स्वीकारे आदरणीया राजेश कुमारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 17, 2012 at 3:13pm

आदरणीय प्रदीप कुमार कुशवाह जी  हार्दिक आभार आपका |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 2:39pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर 

बिलकुल सही चित्र खिंचा आपने 

बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 17, 2012 at 1:06pm

पियूष द्विवेदी जी आपने मेरे ख्याल को दिल से महसूस किया तथा अनुमोदन किया मेरा लिखना सार्थक हुआ 

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on November 17, 2012 at 12:44pm

बहुत ही सुन्दर ख्याल है, और अभिव्यक्ति भी उतनी ही सुन्दर........ आज के युग के महानगरों के निवासी माता-पिता भी इस चिड़िया सी सोच रखे तो देश का भविष्य बेहतर तैयार हो..!

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