प्यार से तस्वीर मेरी, पोंछना आंसू बहाके।
शीश खटिये पे टिकाकर, सोंचना आंसू बहाके।।
चैन से जी भी न पाये,चैन से मर भी न पाये।
याद के टुकड़े पुराने, नोंचना आंसू बहाके।।
इस कदर मेरी मुहब्बत, कर गई बर्बाद उसको।
नाम लिख मेरा हँथेली, गोंचना आंसू बहाके।।
जब कभी मेरी कमी खलती, उसे है खामखा तब।
दर्द में दुखती रगों को, कोंचना आंसू बहाके।।
जख्म से मजबूर होके, घाव ले जीती रही।
क्या करे तकदीर को है, कोसना आंसू बहाके।।
चाँद से हो खूबसूरत, जब कभी उसको कहूँ मैं।
शर्म से फिर मुस्कुराना, रोकना आंसू बहाके।।
Comment
शुक्रिया आभार धन्यवाद अशोक सर
सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारे अरुण जी सादर.
आदरेया प्राची जी रचना को पसंद व सराहना करने हेतु आपका ह्रदय के अन्तःस्थल से अनेक-2 धन्यवाद. आपके इसी तरह स्नेह की अपेक्षा सदैव रहेगी. सादर
आदरणीय विजय निकोर साहब बहुत-2 शुक्रिया
तहे दिल से आभार आदरणीय सौरभ सर
बहुत कोमल भावों के दर्द की पराकाष्ठा को शब्द दिये हैं आपने रचना में.. सुन्दर अभिव्यक्ति. हार्दिक बधाई स्वीकारें
आ० अनन्त जी,
भाव बहुत अच्छे लगे। बधाई।
विजय निकोर
वाह .. सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! बधाई अन्त जी.
आभार आदरणीय झा सर
सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई 'अनंत' जी
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