For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संगीत की विद्यार्थी हूँ ...संगीत से जुड़े कई शब्द मुझे जीवन के साथ चलते दिखते हैं | जो लोग  इन शब्दों के विशेषता से अनभिज्ञ हैं उनके लिए कुछ बताना चाहती हूँ  ..आशा करती हूँ इस सक्षिप्त व्याख्या से गीत समझने में आसानी होगी 

------किसी भी राग में षडज(स ) और  पंचम (प )स्वर अनिवार्य हैं जबकि रे,ग,म ,ध नी को वर्जित कर नए नए रागों की रचना की जाती 

........ वादी-संवादी राग के सबसे महत्त्वपूर्ण स्वर होते हैं 

-----विवादी स्वर राग में प्रयुक्त नहीं होता पर कभी-कभी  बहुत कुशलता से किया गया  इसका अल्प प्रयोग  राग में चार चाँद लगा  देता है 

-----वर्जित स्वर राग में कभी प्रयोग में नहीं लाये जाते (हर राग में विवादी और वर्जित स्वर भिन्न होते हैं )

.......लय गीत का एक अभिन्न अंग है सुन्दर स्वर में गाया  गया गीत भी यदि ताल में नहीं है तो कानो को अच्छा नहीं प्रतीत होता 

बंसी की धुन सा छाता है समय 

सुनो, ना सुनो पर गाता है समय

मन्द्र,मध्य और तार सुरों का संगम हो

सुख-दुःख से अनिवार्य षडज और पंचम दो

वादी-संवादी संग अल्प विवादी को

बुनो गीत में तो भाता है समय

आरोही-अवरोही का उत्थान -पतन 

लेकर बढ़ता करता सतत मनन-चिंतन 

मधुर बनाता जाता हर इक सुर लेकिन 

वर्जित से घबरा जाता  है समय 

काबू में जब रहे दशाओं की उँगली 

सधी चाल में तब बजती जीवन डफली 

बिखरे गति द्रुत,मध्य,विलंबित लय की गर

बंजारों सा हो जाता है समय

Views: 446

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 18, 2012 at 10:55am

आदरेया सीमा जी

                    सादर, बहुत सुन्दर गीत लिखा है आपने,यह बहुत ही उत्तम बात लगी कि आपने पहले संगीत कि कुछ बारीकियों कि ब्रीफ में जानकारी दी. गीत पर सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by seema agrawal on December 12, 2012 at 1:07pm

thanks by heart  dr, ajay khare 

Comment by seema agrawal on December 12, 2012 at 1:06pm

आप को गीत में गुनगुनाहट मिली तो तो गीत को गीत कहना सफल हुआ सौरभ जी ........

Comment by seema agrawal on December 12, 2012 at 1:06pm

इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया संदीप जी 

Comment by seema agrawal on December 12, 2012 at 1:04pm

धन्यवाद आदरणीय प्रदीप जी 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 11, 2012 at 5:03pm

beutiful rachana keep it up


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 11, 2012 at 4:15pm

गुन-गुन करते रहे सीमाजी, देर तक ... . और अभी कुछ नहीं.. . बस बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on December 11, 2012 at 3:00pm

षडज, ऋषभ, गाञ्धार, मध्यम, पंचम, धैवत संग निषाद,

पढ़ कर गीत सुरीला इतना मेरे मन से मिटा विषाद,

अत्यंत ही सुन्दर एवं अनुपम रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया..!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 11, 2012 at 1:32pm

सुन्दर भाव्

सुन्दर रचना

मधुर गीत

सजते रहना  

बधाई. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service