For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

थर्रा गये  मंदिर ,मस्जिद ,गिरिजा घर   

जब  कर्ण  में पड़ी  मासूम की चीत्कार 

सहम गए दरख़्त के सब फूल पत्ते  

बिलख पड़ी हर वर्ण हर वर्ग  की दीवार 

रिक्त हो गए बहते हुए चक्षु  समंदर 

दिलों में  नफरतों के नाग रहे फुफकार

उतर  आये   दैत्य देवों  की भूमि पर 

और ध्वस्त किये अपने देश के संस्कार  

 दर्द के  अलाव में  जल  रहे हैं जिस्म                  

 नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार                                                                            

 देख  खतरे में नारियों  का अस्तित्व          

 सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार 

*************************************

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 27, 2012 at 9:41am

सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर जी यही इन्तजार है ये क्रंदन कब थमेगा मिल जुल कर ही इसका हल खोजना होगा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 27, 2012 at 9:39am

आदरणीय गणेश बागी जी सही कह रहे हैं आंसूं भी कब तक बहेंगे पत्थर हो जायेंगे एक दिन ,हार्दिक आभार आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 27, 2012 at 9:37am

प्रिय सीमा जी ना जाने ये क्रंदन कब थमेगा इतना कुछ हो रहा है फिर भी इस तरह की घटनाएं सुनने को मिल रही हैं ,खैर इस मुहिम में अब तो आगे बढ़ चुके हैं आपका हार्दिक आभार 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 26, 2012 at 9:56pm

रिक्त हो गए बहते हुए चक्षु  समंदर 

दिलों में  नफरतों के नाग रहे फुफकार

उतर  आये   दैत्य देवों  की भूमि पर 

और ध्वस्त किये अपने देश के संस्कार  

आदरणीया राजेश कुमारी जी क्रंदन सुन सुन कान फट जाते हैं जहां भी देखो जहां पढो चीत्कार दानवों की करतूत।।चिंता अन्याय  न जाने कब जागेंगे लोग 

सुन्दर सन्देश देती रचना 
भ्रमर 5

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 26, 2012 at 9:39pm

एक सामयिक रचना, क्रिया और प्रतिक्रिया पर जिस तरह की गंदगी फैली हुई है देख कर आक्रोश और घृणा से मन भर जाता है, खैर ....अच्छी रचना पर बधाई स्वीकार करें आदरणीया |

Comment by seema agrawal on December 26, 2012 at 7:55pm

 दर्द के  अलाव में  जल  रहे हैं जिस्म                  

 नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार                                                                            

 देख  खतरे में नारियों  का अस्तित्व          

 सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार ...........घटना और वस्तु स्थिति को जितना व्यक्त किया जाये कम ही लग रही है आपके इस सम्प्रेषण हेतु बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 26, 2012 at 6:46pm

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 26, 2012 at 6:38pm

आदरणीय विजय निकोरे जी एक वक़्त था मुस्लिम तानाशाही राज में ठाकुर लोग अपनी बच्चियों को पैदा होते ही मार देते थे या लकड़ी के बॉक्स में बंद करके बहा देते थे आज भी सूरत वही होती जा रही है ना जाने वक़्त किस और इशारा कर रहा है इस शिक्षाप्रद समाज में ये सब हो रहा है सोच कर हृदय दुखी होता है ,संवेदन शीलता के साथ प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 26, 2012 at 6:30pm

आदरणीय प्रदीप कुशवाह जी आपका हार्दिक आभार मेरे लेखन को मान देने हेतु 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 26, 2012 at 6:29pm

आदरेया राजेश कुमारी जी सादर हर पंक्ति लाजवाब.

नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार                                                                            

 देख  खतरे में नारियों  का अस्तित्व          

 सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार.....वाह! हार्दिक बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
25 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
yesterday
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service