For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लिखी गई फिर पल्लव पर नाखून से कहानियां   

खिलखिलाई गुलशन में नृशंसता की निशानियां  

छिपे शिकारी जाल बिछाकर ,चाल समझ में आई 

उड़ती चिड़िया ने नभ से न  आने की  कसमें खाई 

बिछी नागफनी देख बदरिया मन ही मन घबराई 

गर्भ से निकली ज्यों ही बूँदे,  झट उर से चिपकाई 

सकुचाई ,फड़फडाई तितली देख देख ये सोचे 

कहाँ छिपाऊं पंख मैं अपने कौन कहाँ कब नोचे 

देख  सामाजिक ढांचा आज हर  मादा शर्मिंदा है 

एक सवाल अपने अस्तित्व से, री तू क्यूँ जिन्दा है ??

****************************************************

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 11:04pm

सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी हार्दिक आभार रचना पर  अपनी प्रतिक्रिया देने हेतु ,बस यही इन्तजार है की न्याय हो और ऐसा कभी दुबारा ना हो 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 25, 2012 at 10:45pm

सकुचाई ,फड़फडाई तितली देख देख ये सोचे 

कहाँ छिपाऊं पंख मैं अपने कौन कहाँ कब नोचे 

आदरणीया राजेश कुमारी जी मर्माहत करने वाली घटनाएँ हर तरफ चिंता शोक कुशल क्षेम की दुवाएं अत्याचारी जल्द मिटें यही कामना ....बहुत सुन्दर रचना समाज को जागना होगा ....बुलबुल उड़ें गीत गायें परियां आयें स्वागत करना है ...

भ्रमर 5 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 7:43pm

आदरणीय अशोक रक्ताले जी आपका हार्दिक आभार रचना के मर्म ने दिल को छुआ 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2012 at 7:33pm

आदरेया राजेश कुमारी जी सादर, बहुत सुन्दर एक हृदयविदारक रचना. हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 22, 2012 at 8:06pm

आदरणीय विजय निकोरे जी आज देश में हर कोई शर्मसार है हर दिल की एक ही पुकार है फांसी ,पर हमारी सरकार कब जागेगी यही देख रहे हैं हम भी और आप भी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 22, 2012 at 8:03pm

प्रिय महिमा जी आवाज में आवाज मिलाने के लिए हार्दिक आभार 

Comment by vijay nikore on December 22, 2012 at 6:32pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी:

दिल्ली में हुए कुकर्म से मन उदास रहा, कि जैसे गला रुँध गया हो।

मेरी भावनाओं को आपकी कविता ने आवाज़ दे दी .. इसके लिए

आपका धन्यवाद, और अच्छी कविता के लिए बधाई।

यह पीड़ा हम सभी की पीड़ा है।

सादर,

विजय निकोर

Comment by MAHIMA SHREE on December 22, 2012 at 5:19pm

एक सवाल अपने अस्तित्व से, री तू क्यूँ जिन्दा है ??..

आदरणीया राजेश दी .आपकी संवेदनाओ को नमन !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 21, 2012 at 8:28pm

कभी कभी मौन ही सब कुछ कह देता है सीमा जी हम सभी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं ,अभी अभी मन का आक्रोश बाहर निकाल कर आ रही हूँ उत्तराखंड महिला एसोसिएशन के मार्च प्रदर्शन(डेल्ही रेप केस के विरुद्ध) में जाकर आई हूँ फेस बुक पर फोटोज डाल  दिए हैं।  हार्दिक आभार आपका ।

Comment by seema agrawal on December 21, 2012 at 7:25pm

बहुत कुछ कहा जाचुका है इस विषय में इसलिए शांत  रहते हुए बस यही कहूंगी ..... मन को छू गयी रचना आपकी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service