मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,
लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,
हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,
स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,
कौन अपना है पराया हमे क्या मालुम,
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,
भूल मुझको जो गई यादों के हर लम्हों से,
जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.
Comment
भाव बढ़िया
बधाई
साफ़ कहूँ ? मन प्रसन्न नहीं हुआ, अरुन अनन्तजी. बुरा न लगे, ग़ज़ल के अश’आर और मशक्कत चाह रहे थे. आपने ज़ल्दबाज़ी कर दी.
२१२२ २१२२ २१२२ २२ के वज़्न पर मिसरे कहे. तक्तीह करें. कुछ इधर-उधर हो गये हैं. दूसरे, व्याकरण के अनुसार ’हर’ या ’प्रत्येक’ के बाद एकवचन की संज्ञा आती है. इस लिहाज़ से आखिरी शेर के उला को देख लें.
स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,
इस शेर के लिए बधाई.. .
आदरणीय मित्रवर संदीप जी, आपकी वाह वाह दिल को हार्दिक प्रसन्न करती है. आभार
आदरणीया बागी सर प्रणाम, इस मिसरे में है शब्द मिसिंग है, बाकी के शे'र आपको पसंद आये मेरे लिए सुखद की बाद है.
हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,
वाह वाह वाह
बधाई क़ुबूल करिए
आदरणीय गणेश सर जी की बातों से सहमत हूँ
//कौन अपना है पराया---- हमे क्या मालुम//
इस मिसरा में कुछ मिसिंग है, क्या कहते हैं ?
//जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.//
इस मिसरा में बात कुछ निकल नहीं रही |
बाकी सभी शेर मुझे अच्छे लगें, बधाई स्वीकार करें |
बसंत जी आभार, सादर
आदरणीय लक्ष्मण सर आपको रचना पसंद आई, मेरे लिए हर्ष की बात है आपका आशीष मिला आभार.सादर
bahut badiyaa arunji
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