For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई हद नहीं थी ,
उसके ऐतबार की !
एक अंतहीन अंधविश्वास ,
शायद !अतिशयोक्ति थी प्यार की !!

कोई प्रतिरोध नहीं किया ,
सोचा न क्या होगा अंजाम ,
घुटन भरी ज़िन्दगी ,
जीती रही गुमनाम !!

जब कोई अपना ही ,
दिन रात प्रताड़ित करता है !
एक नहीं सैकड़ों बार ,
जी जी कर फिर वो मरता है !

मानसिक बीमार कर दिया इतना ,
इसलिए उसने आत्मदाह किया ,
घुटन भरी ज़िन्दगी ने ,
ऐसा करने पर मजबूर किया !!

इतना भयंकर निर्णय ,
कोई ऐसे ही नहीं लेता है !
गम के समंदर से घिर कोई ,
ज़ब अन्दर ही घुटकर रोता है !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित

Views: 345

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shanno Aggarwal on January 17, 2013 at 8:33pm

ऐसे दुर्भागी लोगों की मानसिक अवस्था को आपने कितने सुंदर ढंग से अपनी रचना में ढाला है.  

''जब कोई अपना ही ,
दिन रात प्रताड़ित करता है !
एक नहीं सैकड़ों बार ,
जी जी कर फिर वो मरता है !''

Comment by upasna siag on January 17, 2013 at 5:16pm

मार्मिक अभिव्यक्ति .......

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 16, 2013 at 9:43pm

अपने विशेष ताने - बाने के कारण ये रचना विशेष हो गयी है.........बधाई स्वीकारें भाई !!!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 16, 2013 at 5:05pm

जब कोई अपना ही ,
दिन रात प्रताड़ित करता है !
एक नहीं सैकड़ों बार ,
जी जी कर फिर वो मरता है !

बहुत खूब कहा 

बधाई, आदरणीय राम जी, 

सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 16, 2013 at 10:20am

बेइंतहा प्यार, अटूट विश्वास , फिर छला जाना, मानसिक  यंत्रणा का दौर....और आत्महत्या... इस भाव तूफ़ान को सशक्तता से अभिव्यक्त किया गया है राम शिरोमणि जी .

इस रचना हेतु हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 16, 2013 at 9:03am

आत्महत्या जैसा दुस्साहसी  निर्णय कोई वैसे  ही नहीं लेता जब जिन्दगी से विश्वास उठ् जाए तब कोई यह कदम उठाता है एक मार्मिक रचना लिखी है जो बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है बहुत बहुत बधाई आपको , जो बोल्ड अक्षरों में टंकण त्रुटियाँ हैं उन्हें ठीक कर लीजिये 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 16, 2013 at 9:00am

श्री राम शिरोमणि पाठक जी सादर, सुन्दर रचना प्रस्तुत कि है आपने मगर शब्दों में त्रुटी पर एडमिन द्वारा आपको अवगत कराया गया है. सच है इसमें सुधार करें रचना का आनंद और बढ़ जाएगा. हार्दिक बधाई."मौलिक/अप्रकाशित" एडमिन द्वारा अनिवार्य कर दिया गया है. स्वागत.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service