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कोई हद नहीं थी ,
उसके ऐतबार की !
एक अंतहीन अंधविश्वास ,
शायद !अतिशयोक्ति थी प्यार की !!

कोई प्रतिरोध नहीं किया ,
सोचा न क्या होगा अंजाम ,
घुटन भरी ज़िन्दगी ,
जीती रही गुमनाम !!

जब कोई अपना ही ,
दिन रात प्रताड़ित करता है !
एक नहीं सैकड़ों बार ,
जी जी कर फिर वो मरता है !

मानसिक बीमार कर दिया इतना ,
इसलिए उसने आत्मदाह किया ,
घुटन भरी ज़िन्दगी ने ,
ऐसा करने पर मजबूर किया !!

इतना भयंकर निर्णय ,
कोई ऐसे ही नहीं लेता है !
गम के समंदर से घिर कोई ,
ज़ब अन्दर ही घुटकर रोता है !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Shanno Aggarwal on January 17, 2013 at 8:33pm

ऐसे दुर्भागी लोगों की मानसिक अवस्था को आपने कितने सुंदर ढंग से अपनी रचना में ढाला है.  

''जब कोई अपना ही ,
दिन रात प्रताड़ित करता है !
एक नहीं सैकड़ों बार ,
जी जी कर फिर वो मरता है !''

Comment by upasna siag on January 17, 2013 at 5:16pm

मार्मिक अभिव्यक्ति .......

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 16, 2013 at 9:43pm

अपने विशेष ताने - बाने के कारण ये रचना विशेष हो गयी है.........बधाई स्वीकारें भाई !!!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 16, 2013 at 5:05pm

जब कोई अपना ही ,
दिन रात प्रताड़ित करता है !
एक नहीं सैकड़ों बार ,
जी जी कर फिर वो मरता है !

बहुत खूब कहा 

बधाई, आदरणीय राम जी, 

सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 16, 2013 at 10:20am

बेइंतहा प्यार, अटूट विश्वास , फिर छला जाना, मानसिक  यंत्रणा का दौर....और आत्महत्या... इस भाव तूफ़ान को सशक्तता से अभिव्यक्त किया गया है राम शिरोमणि जी .

इस रचना हेतु हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 16, 2013 at 9:03am

आत्महत्या जैसा दुस्साहसी  निर्णय कोई वैसे  ही नहीं लेता जब जिन्दगी से विश्वास उठ् जाए तब कोई यह कदम उठाता है एक मार्मिक रचना लिखी है जो बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है बहुत बहुत बधाई आपको , जो बोल्ड अक्षरों में टंकण त्रुटियाँ हैं उन्हें ठीक कर लीजिये 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 16, 2013 at 9:00am

श्री राम शिरोमणि पाठक जी सादर, सुन्दर रचना प्रस्तुत कि है आपने मगर शब्दों में त्रुटी पर एडमिन द्वारा आपको अवगत कराया गया है. सच है इसमें सुधार करें रचना का आनंद और बढ़ जाएगा. हार्दिक बधाई."मौलिक/अप्रकाशित" एडमिन द्वारा अनिवार्य कर दिया गया है. स्वागत.

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