For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वयं के आंसुओं से ,
कपोल उसका झुलस गया !
दया हाय! आयी मुझको ,
मेरा भी अश्रु बह गया !!

अपनो के लिए उसकी ,
पत्थर तोड़ती माता !
भूंख से छटपटाता बच्चा,
हाय! पाषाण ह्रदय विधाता !!

असहनीय पीड़ा से रो रही थी ,
नम आँखों से दर्द धो रही थी !
कई दिनों की भूंखी बेचारी ,
खुली आँखों से सो रही थी !

उसके आँख का खारा पानी ,
यह कह रहा था !
दिल में कहीं गम का ,
समंदर बह रहा था !!

दम तोड़ती ज़िन्दगी ,
दम तोड़ती मानवता !
कहीं ना कहीं इनमे ,
ज़रूर थी समानता !!

राम शिरोमणि पाठक "दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित

Views: 375

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on January 25, 2013 at 1:33pm

राम शिरोमणि जी:

यह दर्द भरी कविता ही नहीं है,

यह सचाई है। बधाई।

विजय निकोर

 

Comment by Vinita Shukla on January 25, 2013 at 10:43am

मार्मिक एवं भावयुक्त रचना. बधाई.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 24, 2013 at 5:12pm

दम तोड़ती ज़िन्दगी ,
दम तोड़ती मानवता !
कहीं ना कहीं इनमे ,
ज़रूर थी समानता !!

पूरी रचना जानदार 

दिल की गहराइयों में उतर गयी. 

बधाई 

Comment by राजेश 'मृदु' on January 24, 2013 at 2:57pm

दया हाय! आयी मुझको ,
मेरा भी अश्रु बह गया !!                    दया से अश्रु बहते हैं जी या पीड़ा से ?

अपनो के लिए उसकी ,
पत्थर तोड़ती माता !


भूंख से छटपटाता बच्चा,
हाय! पाषाण ह्रदय विधाता !!                       विधाता का क्‍या दोष ?

असहनीय पीड़ा से रो रही थी ,
नम आँखों से दर्द धो रही थी !
कई दिनों की भूंखी बेचारी ,
खुली आँखों से सो रही थी !

उसके आँख का खारा पानी ,
यह कह रहा था !
दिल में कहीं गम का ,                                   बहुत सुंदर कथ्‍य
समंदर बह रहा था !!

दम तोड़ती ज़िन्दगी ,
दम तोड़ती मानवता !                                           मानवता का चित्र ढूंढे नहीं मिला
कहीं ना कहीं इनमे ,
ज़रूर थी समानता !!

रचना प्रक्रिया में कडि़यां नहीं जुड़ रही है, भावप्रधान रचना में मर्म तो बहुत है पर उनका संबंध भी होना चाहिए, सादर

Comment by Yogi Saraswat on January 24, 2013 at 2:52pm

असहनीय पीड़ा से रो रही थी ,
नम आँखों से दर्द धो रही थी !
कई दिनों की भूंखी बेचारी ,
खुली आँखों से सो रही थी !

उसके आँख का खारा पानी ,
यह कह रहा था !
दिल में कहीं गम का ,
समंदर बह रहा था

बहुत खूब ! सुन्दर शब्द !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 24, 2013 at 10:03am

 एक निर्धन की भूख से मौत होती है तो सच में मानवता की मौत होती है बहुत सही कहा आपने ,बहुत मार्मिक प्रस्तुति ,ऐसे द्रष्य बहुदा नजरों के सामने से गुजरते हैं बधाई इस प्रस्तुति हेतु 

Comment by SUMAN MISHRA on January 23, 2013 at 8:18pm

बहुत ही दर्द है आपकी कविता में,,,,इतनी मार्मिक ,,,शब्द नहीं है मेरे पास बहुत सुंदर,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
53 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
2 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
10 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
22 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service