आपकी नज़रें इनायत हो गई,
दूर बरसों की, शिकायत हो गई ।
आप हैं तो धडकनों में गीत है,
जिंदगी जैसे, रवायत हो गई ।
बात उनकी मानना बस!फ़र्ज़ है,
जो, जहाँ, जैसी, हिदायत हो गई ।
आपकी खामोशियों को देखकर,
बात अपनी बस! हिकायत हो गई |
फूल सी लम्बी थी उनकी जिंदगी,
साँस लेने में, किफायत हो गई |
मेरी नज़रों का ,करें वो शुक्रिया,
खूबसूरत वो, निहायत हो गई ।
बात टेढ़ी कब, तलक रहती भला,
सादगी बोली, हिमायत हो गई |
Comment
Vivek Shrivastava JI..Ashok Kumar Raktale..arun kumar nigam..vijay nikore..Saurabh Pandey..SANDEEP KUMAR PATEL..ram shiromani pathak..Laxman Prasad Ladiwala...aabhar aap sabhi vid-jano ka...
Aarti Sharma...DHANYWAD...MAM.
सर क्या बात हैं आप तो यहाँ भी छाये हुए हैं .....खूबसूरत गज़ल सर
मेरी नज़रों का ,करें वो शुक्रिया,
खूबसूरत वो, निहायत हो गई ।........वाह वाह.
बहुत खूब आदरणीय अविनाश जी सारे अशार ही दाद के काबिल खुबसूरत गजल पर सादर बधाइयां कबूलें.
मेरी नज़रों का ,करें वो शुक्रिया,
खूबसूरत वो, निहायत हो गई ।
शुक्रिया अविनाश जी, इस शानदार गज़ल के लिए बधाई.............
गज़ल बहुत ही अच्छी लगी।
विजय निकोर
ग़ज़ल के अश’आर सुन्दर बने हैं.. . दाद कुबूल करें, आदरणीय अविनाश भाई..
वाह वाह वाह क्या बात है सर जी .............बहुत बहुत बधाई
..बहुत खूब सर..बधाई
आपकी नज़रें इनायत हो गई,
दूर बरसों की, शिकायत हो गई ।---बहुत खूब
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