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आपकी नज़रें इनायत हो गई,
दूर बरसों की, शिकायत हो गई ।

आप हैं तो धडकनों में गीत है,
जिंदगी जैसे, रवायत हो गई ।

बात उनकी मानना बस!फ़र्ज़ है,
जो, जहाँ, जैसी, हिदायत हो गई ।

आपकी खामोशियों को देखकर,
बात अपनी बस! हिकायत हो गई |

फूल सी लम्बी थी उनकी जिंदगी,
साँस लेने में, किफायत हो गई |

मेरी नज़रों का ,करें वो शुक्रिया,
खूबसूरत वो, निहायत हो गई ।

बात टेढ़ी कब,  तलक रहती भला,
सादगी बोली, हिमायत हो गई |

  • अविनाश बागडे

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Comment by AVINASH S BAGDE on March 16, 2013 at 9:18pm
Comment by AVINASH S BAGDE on March 16, 2013 at 9:15pm

Aarti Sharma...DHANYWAD...MAM.

Comment by Vivek Shrivastava on February 8, 2013 at 7:51pm

सर क्या बात हैं आप तो यहाँ भी छाये हुए हैं .....खूबसूरत गज़ल सर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 3, 2013 at 10:37pm

मेरी नज़रों का ,करें वो शुक्रिया,
खूबसूरत वो, निहायत हो गई ।........वाह वाह.

बहुत खूब आदरणीय अविनाश जी सारे अशार ही दाद के काबिल खुबसूरत गजल पर  सादर बधाइयां कबूलें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on February 3, 2013 at 11:55am

मेरी नज़रों का ,करें वो शुक्रिया,
खूबसूरत वो, निहायत हो गई ।

शुक्रिया अविनाश जी, इस शानदार गज़ल के लिए बधाई.............

Comment by vijay nikore on February 3, 2013 at 8:15am

गज़ल बहुत ही अच्छी लगी।

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 3, 2013 at 6:50am

ग़ज़ल के अश’आर सुन्दर बने हैं.. . दाद कुबूल करें, आदरणीय अविनाश भाई..

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 2, 2013 at 7:18pm

वाह वाह वाह क्या बात है सर जी .............बहुत बहुत बधाई

Comment by ram shiromani pathak on February 2, 2013 at 6:49pm

..बहुत खूब सर..बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 2, 2013 at 4:41pm

आपकी नज़रें इनायत हो गई,
दूर बरसों की, शिकायत हो गई ।---बहुत खूब 

बहुत सुन्दर गजल बधाई श्री अविनाश बागडे जी 
शिकायत तो आपसे थी नहीं कोई 
गजल पढ़ मलाल न अब रहा कोई 

 

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