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एक नज़्म ...तुम्हारे नाम

आज की रात बहुत भारी है 
पीर है या कि जैसे आरी है !! 
आती जाती हुई साँसों में दम निकलता है,
लम्हाँ-लम्हाँ तुम्हें पाने को दिल मचलता है !   
गहरे सन्नाटे में हर ओर तेरी आवाज़ें..
इस अंधेरे में जागतीं हैं कुछ तेरी यादें !
मेरी आँखों में तडपते हैं कई ख़्वाब नए, 
ये कशिश है तेरी चाहत जो आंसुओं में बहे ! 
एक ख़ुशबू मेरी बाँहों में कैद जागी है ,
मेरी रग रग में मुहब्बत सी दौड़ी जाती है!
नींद है कोसों दूर आँखों से .. 
दर्द सोया नहीं है यार कई रातों से !
करीब आओ, न मुझको ,बेक़रार करो .
तुम कहाँ हो कि मेरे पास आओ प्यार करो ...!!
        ~भावना 
 

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Comment by Ashok Kumar Raktale on February 3, 2013 at 11:01pm

आज की रात बहुत भारी है 
पीर है या कि जैसे आरी है !! 
आती जाती हुई साँसों में दम निकलता है,
लम्हाँ-लम्हाँ तुम्हें पाने को दिल मचलता है ! ......वाह वाह बहुत खूब.

सुन्दर रचना आदरेया बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 3, 2013 at 2:27pm

आदरणीय भावना जी 

मनोंभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति, 

रचना में भाव है, रस है, अंतर्गेयता है......यदि आप इसे सही शिल्प भी देने का प्रयास करें तो रचनाएं और सधती जायेंगी.

हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on February 3, 2013 at 11:48am

विरह के भाव और मिलन की आस को उकेरती सुंदर रचना के लिए बधाई...........

Comment by Admin on February 3, 2013 at 9:26am

आदरणीया भावना तिवारी जी , बाल साहित्य में रचना पोस्ट करने हेतु निम्नलिखित स्टेप है ....

=>टैब 

=>समूह

=>बाल साहित्य

=>+Add Discussion   

Comment by भावना तिवारी on February 3, 2013 at 8:19am

"कृपया दिशा दें कि बाल-साहित्य में रचना कैसे पोस्ट करूँ ..??"

Comment by vijay nikore on February 3, 2013 at 8:13am

बहन राज जी,

"लयात्मकता जन्मजात है ऐसा महसूस करती हूँ"

धन्य हैं आप कि आप को यह योग्यता मिली है।

विजय

Comment by भावना तिवारी on February 3, 2013 at 8:06am
आपके इस स्नेह हेतु धन्यवाद न कहूँगी ,इससे स्नेह की गहनता कम होगी .....लयात्मकता जन्मजात है ऐसा महसूस करती हूँ ..कई बार प्रयास करती हूँ छंद मुक्त रचना का और बनता कुछ और ही है .. गीतात्मकता स्वतः आ जाती है !!
Comment by vijay nikore on February 3, 2013 at 7:54am

आदरणीया भावना जी:

मुझको गीत के बारे में सौरभ भाई का सुझाव अच्छा लगा

... अत: चाहे मैं गायक नहीं हूँ, मैंने अभी आपकी कविता को

गाने का प्रयास किया तो आपकी पंक्तियाँ और भी अच्छी लगीं।

सादर,

विजय निकोर

Comment by भावना तिवारी on February 3, 2013 at 7:19am

AADARNIY vijay nikoreJI, Aarti SharmaJI, ram shiromani pathakJI, SANDEEP KUMAR PATELJI,MAHIMA SHREEJI,

अपना अमूल्य समय देकर रचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने हेतु हम आप सभी के हार्दिक आभारी हैं ....

 

Comment by भावना तिवारी on February 3, 2013 at 7:15am
 गीतात्मकता आपकी ऐसी प्रस्तुतियों को अनुपम कर देगी. .....
 
आदरणीय आप का अभिवंदन ...आप ठीक कह रहे हैं ..यूँ भी मंचों से ख़ासा जुड़ाव होने के कारण गीत सदैव प्राथमिकता में रहते हैं ..क्योंकि मूलतः हम गीतकार ही हैं !! हम आगे से इन सुझावों का ध्यान रखेंगे ...सादर !!

 

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