एक और ताज़ा गज़ल आपकी खिदमत में पेश करता हूँ... लुत्फ़ लें ...
आप खुश हैं, कि तिलमिलाए हम |
आपके कुछ तो काम आए हम |
खुद गलत, आपको ही माना सहीह,
जाने क्यों आपको न भाए हम |
आपके फैसले गलत कब थे,
और फिर, सब सगे, पराए हम |
दोस्तों ने भी कुछ कमी न रखी,
और खुद के भी हैं सताए हम |
हम पे इल्ज़ाम था मुहब्बत का,
पर खड़े क्यों थे सर झुकाए हम |
इल्मो-फन का लगा है इक बाज़ार,
लौटते हैं लुटे लुटाए हम |
शामियाने सी फितरतें अपनी,
उम्र भर धूप में नहाए हम |
नाम कम है, जियादा हैं बदनाम,
शाइरी तुझसे बाज़ आए हम |
पसे-आईना कोई है 'वीनस',
जिसको अब तक समझ न पाए हम |
Comment
बहुत खूब श्री वीनस जी ! हर शेर बोल रहा है ।
वीनस जी ,
आप का गज़ल कहने का अंदाज लाजवाब है, मुझे ये शेर बहुत अच्छा लगा
शामियाने सी फितरतें अपनी,
उम्र भर धूप में नहाए हम |
क्या खूब ही गुफ्तगू करता हुआ मतला है.. वाह..
और फिर इस शे'र पर, कि-
/नाम कम है, जियादा हैं बदनाम,
शाइरी तुझसे बाज़ आए हम /
मैं तो यही कहूँगा कि, "जो है नाम वाला, वही तो बदनाम है..$". ढेरों दाद कबूलें.
जय हो..!!
क्या कहूँ .. कुछ समझ में नहीं आ रहा है. सही है, उदास एक और रंग है. किन्तु, आपके ग़ज़लकार को कभी इस रूप में नहीं देखा था.
आप खुश हैं, कि तिलमिलाए हम |
आपके कुछ तो काम आए हम |.. . . हुम्म .. .
इतना...... ??!!!!
जय हो
इक इक अशआर ग़ज़ब ढा रहा है
कह रहा है ये है ग़ज़ल ये है ग़ज़ल
इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद क़ुबूल कीजिये साहब
आभार आदरणीय |
आनंदित हुआ ||
शामियाने सी फितरतें अपनी,
उम्र भर धूप में नहाए हम |
क्या बात है वीनस जी, आपकी गजल पढ़ना किसी पुरस्कार से कम नहीं, सादर
ग़ज़ल अच्छी कही है वीनस भाई,
शामियाने सी फितरतें अपनी,
उम्र भर धूप में नहाए हम |
क्या कहने भाई, शेर दिल तक उतर रहा है,
//खुद गलत, आपको ही माना सहीह,//
जरा बताइयेगा वीनस भाई |
एक खुबसूरत ग़ज़ल पर ढेरों दाद स्वीकार कीजिये |
दोस्तों ने भी कुछ कमी न रखी,
और खुद के भी हैं सताए हम -- वाह भाई.. इसे कहते हैं अंदाज़े बयां..
शामियाने सी फितरतें अपनी,
उम्र भर धूप में नहाए हम -- ग़ज़ब की कहन...
एक के बाद एक शानदार ग़ज़लों से मन मोह रहे हैं आप! दिली मुबारकबाद है आपके लिए..
" शामियाने सी फितरतें अपनी,
उम्र भर धूप में नहाए हम |"
वीनसजी !
दायित्वधारीयों के जीवन पर एक सुन्दर बिम्ब प्रस्तुत करता हैं और सच है कि ऐसे लोग खुद के भी निगेह्वान होते हैं जमाने के साथ-साथ . पूरे नज्म में एक खास लोच है . खूबसूरत है .
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