For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"छंद त्रिभंगी "(एक प्रयास)

"छंद त्रिभंगी "

उठ नींद से गहरी , अर्जुन प्रहरी, नयना अपने, खोल ज़रा
पद साथ बढ़ा के , चाप चढ़ा के , इन्कलाब तो, बोल ज़रा
या छोड़ दिखावा, ये पहनावा, भगवा धारण, तुम कर लो
बन संत तजो सब, मौन रहो अब, मन का मारण,तुम कर लो

,,,,,,,दीप ............

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 7:45pm

आदरणीया भावना जी सादर प्रणाम
छंद को सराहने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 7:44pm

आदरणीय विजय सर जी सादर प्रणाम
आकी सराहना पाकर लेखन कर्म सफलता को प्राप्त हुआ जान पड़ता है
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये आपका बहुत बहुत आभार सर जी

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 7:43pm

आदरणीय रविकर जी सादर प्रणाम
इन शुभकामनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद आपका
स्नेह यूँ ही बनाये राखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 7:41pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सहमति के लिए आपका बहुत बहुत आभार
स्नेह यूँ ही बनाये राखिये
सादर प्रणाम

Comment by vijay nikore on February 6, 2013 at 6:39pm

आदरणीय संदीप कुमार जी:

भाव सराहनीय हैं, पढ़ना अच्छा लगा ।

सादर,

विजय निकोर

Comment by रविकर on February 6, 2013 at 6:01pm

जोशीला -मार्गदर्शन ||
शुभकामनायें आदरणीय ||


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2013 at 5:42pm

//संत बनने की सलाह इसीलिए है क्यंकि संत स्वयं का न हो के सकल समाज की पूँजी हो जाता है//

अद्भुत ! अवश्य-अवश्य !!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 5:35pm

आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
इसमें अंतिम दो बंद बहुत कुछ छुपाये हुए हैं

सही मायने में ये मन का मारण अर्थात दुखी होने के लिए नहीं अपितु मोह को त्याग विरक्त हो जाने के लिए है अर्थात गृहस्थ न रहने की सलाह है
और भगवा धारण करने का अर्थ केवल साधू बनने के लिए नहीं है भगवा अर्थात केसरिया
या का अर्थ या नहीं  "यह" है,  यह छोड़ दिखावा ही है
संत बनने की सलाह इसीलिए है क्यंकि संत स्वयं का न हो के सकल समाज की पूँजी हो जाता है
इसीलिए सर्वसम्मानित है
आशा है की मेरे विचार से आप सहमत हो जायेंगी
अन्यथा इनके दो मायने समाहित करने में मैं असफल ही रहा हूँ
ये स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बनए रखिये

आपका बहुत बहुत आभार

Comment by भावना तिवारी on February 6, 2013 at 5:33pm

PADHKAR AANANDIT HUI ...SARASATA LAGI....BADHAAI ..!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 5:27pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम
आपका उत्साहवर्धन मेरे लेखन कर्म में उर्वरक की तरह और भावों के सम्प्रेषण में अर्थात क्रिया में उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं
अपना स्नेह और आशीष यूँ ही मुझ पर बनाये रखिये ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service