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(मौलिक और अप्रकाशित)

अरुणोदय से हुआ
नील गगन लोहित सा
गिरीश्रृगों के मध्य से
ललाट उठा रहा
संदेश दे रहा
जनमानस को
उठो जागो
आलस त्यागो
करो कुछ नवीन
गत दिवस के अनुभव
अपने मानस में पिरोकर
भूलों को सुधारो
अर्द्धकार्य पूर्ण करो
बनो संकल्पवान
अर्द्धविक्षिप्त से
अपूर्ण मत बनो
पूर्ण बनकर
पूर्ण कार्य करो
भरते जैसे नयी उमंग
पक्षी हृदय में
अरुणोदय वेला
भरो निजमानस में
हे मानव!
तुम भी नवीन उमंग
नवीन संचार
भरकर नव उङान
करो कुछ नवनिर्माण।

- सतवीर वर्मा 'बिरकाळी'

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Comment

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Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 16, 2013 at 6:56am
आ॰ सौरभ पाण्डे जी, प्रोत्साहन करने के लिए आभार।
हमारी लेखनी इसी तरह चलती रहेगी, जब तक कोई दुर्गम पर्वत या खाई बीच मेँ ना आ जाएगी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 12:31am

आपका मंच पर स्वागत है सतवीर जी..  विश्वास है आपकी लेखिनी उत्तरोत्तर प्रस्तुतियों से मुग्ध करती रहेगी.

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 13, 2013 at 5:20pm
टिप्पणी स्थानक पर अपने हस्ताक्षर करने के लिए आभार आ॰ योगी सारस्वत जी।
Comment by Yogi Saraswat on March 13, 2013 at 2:16pm

बनो संकल्पवान
अर्द्धविक्षिप्त से
अपूर्ण मत बनो
पूर्ण बनकर
पूर्ण कार्य करो
भरते जैसे नयी उमंग
पक्षी हृदय में
अरुणोदय वेला
भरो निजमानस में
हे मानव!
तुम भी नवीन उमंग
नवीन संचार
भरकर नव उङान
करो कुछ नवनिर्माण।

जीवन में संचार भर नव निर्माण करने के अच्छा सन्देश देती रचना के लिए बधाई श्री सतवीर वर्मा बिरकाली जी

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 12, 2013 at 10:46pm
लक्ष्मण प्रसाद लङीवाला जी, आपकी प्रतिक्रिया से दिल बाग बाग हो गया, आभार।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2013 at 10:17pm

जीवन में संचार भर नव निर्माण करने के अच्छा सन्देश देती रचना के लिए बधाई श्री सतवीर वर्मा बिरकाली जी 

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 12, 2013 at 9:30pm
kewal prasad ji, आपकी टिप्पणी से मन उत्साह से भरा है और कलम कुछ और रचना में प्रवृत हो गयी है।
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 12, 2013 at 9:24pm
राम शिरोमणी पाठक जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 12, 2013 at 6:16pm

हे मानव!
तुम भी नवीन उमंग
नवीन संचार
भरकर नव उङान
करो कुछ नवनिर्माण।  हम सभी के लिए उपयोगी है ....बहोत ही बढ़िया है!

Comment by ram shiromani pathak on March 12, 2013 at 5:52pm

बहोत ही बढ़िया कहा आपने आदरणीय वर्मा  जी  .....सादर

ललाट उठा रहा
संदेश दे रहा
जनमानस को
उठो जागो
आलस त्यागो
करो कुछ नवीन
गत दिवस के अनुभव
अपने मानस में पिरोकर
भूलों को सुधारो
अर्द्धकार्य पूर्ण करो
बनो संकल्पवान
अर्द्धविक्षिप्त से
अपूर्ण मत बनो
पूर्ण बनकर
पूर्ण कार्य करो

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