जिन्दगी तू इतनी आसान नही है
जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।
तू बहलाती फुसलाती तू लुभाती है, बेवफा ! है तू सब की पर किसी की नही है ।
तू पल मे तोला कभी पल मे मासा है, कही धूल जँमी की कही सोने पे सुहागा है ।
पर है ये हकीकत तेरी की तू, दुख दर्द के ताने बानो मे बुनी है ।
जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।
तू कही जेठ की धूप है, कही नीम की ठंडी छाव है ।
कही भाग दौड है शहर की, कही सकून भरा एक गाँव है ।
कही उडनखाटोले मे उडती, कही खेतो की मिट्टी से सनी है ।
जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।
कही तडफती ममता माँ की , कही भूख की किलकारी है ।
कही झुलता खाली झुला , कही त्याग माँ की मजबूरी है ।
कही महलो मे तू राज करती , कही कचरे मे जनी है ।
जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।
कही रचाती हाथो मे मेहँदी, कही हाथो की फूटती चुडी है ।
कभी दहेज की बेदी मे जलती, कही बारात को तकती दहरी है ।
कही अरमानो की सेज पे बैठी ,कही हर रात की दुल्हन बनी है ।
जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।
कही मुहब्बत का आगाज है तू, कही पर नफरत की आग है ।
कही प्यार की मंजिल है तू , कही टुटता विश्बास है ।
कही बगावत तू प्यार की खातिर , कही प्यार की ढाल बनी है।
जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।
कही पडी है लावारिश सी, कही एक वारिस की चाह है ।
कही जुल्म सितम है वारिस का, कही बूढी हड्डीयो की आह है ।
कही दर्द है अपनो से, कही तू अपनो की कमी है
जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।
सच है जींदगी सबकी अपनी होती है.किसी के लिए सुख ही सुख तो किसी के लिए दुखो का भंडार.सुन्दर रचना आदरणीय बसंत नेमा जी बधाई स्वीकारें.
आ. प्राची दीदी ,कुंती जी , केबल जी .... रचना आप को पसन्द आई उसके लिये बहुत आभार ..
आ0बसन्त नेमा जी, वाह भाई जी, वास्तव में जिन्दगी इतनी आसान नहीं...अतिसुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
ज़िंदगी की दोरंगी तस्वीर की सुन्दर प्रस्तुति आ० बसंत नेमा जी
नेमा जी , सच में जिंदगी इतनी आसान कहाँ है . कोई रोता कोई हँसता जिंदगी के अपने फ़लसफ़े है .आपको बहुत बहुत बधाई.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online